देश के अलग-अलग हिस्सों से लाखों किसान एक बार फिर गुरुवार से राजधानी दिल्ली में एकत्र हुए. फसलों के उचित दाम और संपूर्ण कर्जमाफी की मांग को लेकर देशभर से आए किसानों ने 'किसान मुक्ति मार्च' का आयोजन किया.
इस दो दिवसीय आंदोलन में खेतिहर मजदूर और किसान लाखों की संख्या में शुक्रवार (29 नवंबर) को रामलीला मैदान में जुटे. वहीं, आज (30 नवंबर) उन्होंने संसद की ओर कूच किया. जंतर-मंतर पर आयोजित किसान रैली में कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
इस मार्च के दौरान अपने विरोध को दर्शाने के लिए किसानों ने कई रोचक तरीके अपनाए. किसानों ने तख्तियों के जरिये अपना दर्द जाहिर करते हुए मौजूदा केंद्र सरकार पर तंज भी कसा. इस मार्च में किसानों ने केंद्र सरकार की 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' को भी अपने मौजूदा हालात दिखाने के लिए रोचक तरीके से पेश किया. किसानों ने तख्तियों पर लिखा था, ''लोग कहते हैं बेटी को मार डालोगे, तो बहू कहां से लाओगे.....जरा सोचो किसान को मार डालोगे, तो रोटी कहां से लाओगे.''
किसानों की पीड़ा दर्शाती एक अन्य तख्ती पर लिखा था कि भगवान का सौदा करता है. इंसान की कीमत क्या जाने? जो धान की कीमत दे न सका, वो जान की कीमत क्या जानें?
वहीं, हजारों की संख्या में किसान ने खुद की वेदना को दर्शाते हुए टोपियां भी पहनी हुई थीं. इन टोपियों पर लिखा था कि किसान हूं भिखारी नहीं.
वहीं, सोशल मीडिया पर एक पर्चा भी वायरल हुआ था. इसमें लिखा है- 'माफ कीजिएगा! हमारे इस मार्च से आपको परेशानी हुई होगी...हम किसान हैं. आपको तंग करना हमारा इरादा नहीं है. हम खुद बहुत परेशान हैं. सरकार को और आपको अपनी बात सुनाने बहुत दूर से आए हैं. हमें आपका बस एक मिनट चाहिए.' इसमें किसानों ने उनके साथ हुई नाइंसाफी को बताया है. (सभी फोटो साभार- सोशल मीडिया)
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