सीडीओ आशीष भटगई और डीएफओ कोको रोसे ने ड्रोन डिवाइस का ट्रायल किया. सीडीओ ने कहा कि ड्रोन के लिए नागरिक उड्डयन विभाग से अनुमति ली गई है.
इस प्रयोग में ड्रोन द्वारा बीज खाली पड़ी जमीन पर फेंके गए. जंगलविहीन स्थानों पर वृक्षारोपण करने के उद्देश्य से पहली बार ड्रोन की मदद से बीज बरसाने का प्रयोग सफल भी रहा. उत्तराखंड में पहली बार ड्रोन में डिवाइस लगाकर बीजों का प्रक्षेपण किया जा रहा है.
यह तकनीकि उन जगहों के लिए उपयोगी साबित होगी जो मानव पंहुच से दूर हैं. टिहरी वन विभाग और संकल्प तरू फाउंडेशन की यह पहल आगामी समय में मील का पत्थर साबित हो सकती है.
सीडीओ आशीष भटगई और डीएफओ कोको रोसे ने ड्रोन डिवाइस का ट्रायल किया. सीडीओ ने कहा कि ड्रोन के लिए नागरिक उड्डयन विभाग से अनुमति ली गई है. वन विभाग जिन जिन स्थानों पर यह तकनीकि प्रयोग करना चाहता है उसके लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होगी. उन्होने कहा कि मानव पंहुच से दूर स्थानों पर ड्रोन की मदद से बीजारोपण किया जाएगा.
संकल्प तरू के इनोवेशन स्पेशलिस्ट उमेश चैधरी ने बताया कि इस ड्रोन की वेटलिफ्टिंग क्षमता 700 ग्राम है. 300 मीटर हाइट से यह बीज डाल सकता है और 3 कीलोमीटर का ऐरियल डिस्टेंस है. उन्होने कहा कि जंगल विहीन स्थानों पर हरा भरा जंगल विससित किया जा सकता है.
इस मौके पर डीएफओ कोको रोसे ने बताया कि ड्रोन से पीपल और पदम के बीज जमीन पर फेंके गए हैं. यह प्रयोग सफल रहा तो वन विभाग वृक्षविहीन भूभाग को चयनित कर इस तकनीकि का प्रयोग करेगा. उन्होने कहा कि यह प्रयोग राज्य में पहली बार किया जा रहा है. संकल्प तरू फाउंडेशन के ऑपरेशन हेड रविभान सिंह ने बताया कि उनका संगठन टिहरी के धामड़ी, खमोली, बड़वाल, बरवाल, चोपड़िया आदि गांवों में वृक्षारोपण कर रहा है. उन्होंने बताया कि देशभर में फाउंडेशन गो ग्रीन के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाता है. कहा कि राजस्थान के रेतीले मरूस्थलों में फाउंडेशन ने पांच स्थानों पर जंगल उगाए हैं.
रिपोर्ट बाय- मुकेश पंवार
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