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'पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बनेंगे सौरव गांगुली, लेकिन उससे पहले BCCI अध्यक्ष'

वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि वह आज भी सौरव गांगुली पर बेपनाह भरोसा करते हैं. वह उनकी लीडरशिप के आज भी कायल हैं.

Sourav Ganguly

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टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली एक खुली किताब की तरह हैं. उनका कहना है, "मेरे बारे में ऐसा कुछ नहीं है जो यह देश नहीं जानता हो. इसलिए मैंने सोचा कि मैं कुछ लिखूं जिसे युवा क्रिकेट खिलाड़ी याद रखें." अपनी किताब के लॉन्च के दौरान उन्होंने कहा, "मेरी किताब का शीर्षक 'ए सेंचुरी इज इनफ' का मतलब है कि सिर्फ रन बनाने से कोई भी चैम्पियन नहीं बन सकता. शीर्ष स्तर पर उसे कई उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है."

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सौरव गांगुली की किताब के लॉन्च के मौके पर वीरेंद्र सहवाग और युवराज सिंह भी मौजूद रहे. सौरव गांगुली वह शख्सियत हैं, जिनके संघर्ष और लड़ने के जज्बे ने ही उन्हें मैदान में और मैदान से बाहर भारतीय क्रिकेट टीम का सबसे सफलतम कप्तान बनाया. वीरेंद्र सहवाग का कहना है कि वह हमेशा इस बात के लिए सौरव के ऋणी रहेंगे कि उनकी कप्तानी में ही उन्हें बेहतरीन अवसर मिल पाए. 

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एक निजी चैनल को दिए एक इंटरव्यू में वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि वह आज भी सौरव गांगुली पर बेपनाह भरोसा करते हैं. वह उनकी लीडरशिप के आज भी कायल हैं. सहवाग को गांगुली और उनकी लीडरशिप पर अटूट विश्वास हैं. सहवाग ने इंटरव्यू के दौरान कहा, 'दादा (गांगुली) सौ फीसदी एक दिन बंगाल के मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन उससे पहले वह बीसीसीआई के अध्यक्ष बनेंगे.'

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वीरेंद्र सहवाग अक्सर अपने इंटरव्यू में सौरव गांगुली की तारीफ करते रहते हैं. सहवाग ने एक इंटरव्यू में बताया कि टेस्ट क्रिकेट खेलने की वजह भी सौरव गांगुली ही हैं. उन्होंने बताया था कि जब मैं वनडे खेलता था तो लोग हमेशा कहते थे कि मैं टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल सकता. इसलिए जब मैंने अपनी पहली टेस्ट सेंचुरी लगाई थी तो दादा को ही गले लगाया था क्योंकि इन्होंने ही मुझे टेस्ट क्रिकेट में खेलने का मौका दिया था. 

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दरअसल, वीरेंद्र सहवाग और युवराज सिंह, सौरव गांगुली की बायोग्राफी 'ए सेंचुरी इज नॉट एनफ' के लान्च के मौके पर दिल्ली में थे. इस मौके पर ये तीनों क्रिकेटर्स समय को रिवाइंड करके उस दौर में पहुंच गए, जब मैदान के बाहर मजेदार घटनाएं हुआ करती थीं. सहवाग और युवराज ने बताया कि किस तरह गांगुली शुरुआती दिनों में उन्हें सपोर्ट किया करते थे. 

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युवराज ने बताया कि, जब मैं टीम में आया तो दादा ने कहा था, लंबे समय बाद टीम में कोई अच्छा फील्डर आया है. कुछ अच्छी पारियां खेलने के बाद मैं असफल हो रहा था. मुझे स्पिन को खेलने में दिक्कत हो रही थी. ऐसे मौकों पर दादा ने मुझे सपोर्ट किया, क्योंकि वह जानते थे कि मैं मैच विनर हूं. 

 

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सौरव गांगुली ने भी सहवाग, युवराज और हरभजन को समर्थन देने के कारण बताए. उन्होंने कहा, ये तीनों क्रिकेटर बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे. मैं यह जानता था. मैंने पहला काम यह किया कि इनके भीतर से असफलता का डर बाहर निकाला, क्योंकि जब मैं नया आया था तो ऐसा ही डर मेरे भीतर भी था. गांगुली ने कहा, मुझे याद है 2001 में चयनकर्ताओं ने मुझे कहा कि वीरू को दक्षिण अफ्रीका दौरे पर नहीं ले जा रहे हैं, क्योंकि वह तेज गेंदबाजों को अच्छी तरह नहीं खेल पाते, लेकिन मैं जिद करके सहवाग को ले गया. सहवाग ने वहां डेब्यू मैच में शतक जमाया था. (सभी तस्वीरें: IANS)

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