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Animals Photos: दुनिया के 5 सबसे दमदार जानवर, महीनों तक जिंदा रह सकते हैं बिना खाए-पिए

Animals News: कहा जाता है किं कुछ इंसान आज भी अमर हैं. इस कहावत के रेफरेंस के आस-पास अगर जानवरों की बात करें तो धरती पर कुछ 'चमत्कारी' जानवर ऐसे हैं जिन्हें जिंदा रहने के लिए हमारी-आपकी तरह रोज-रोज खाना खाने या हर दो-चार घंटे में पानी पीने यानी कुछ खास-दाना पानी की जरूर नहीं पड़ती है. इसमें कोई चमत्कार नहीं बल्कि सीधा विज्ञान है. ऐसे में आइए आपको तस्वीरों के जरिए बताते हैं कि कौन-कौन से जीव-जंतु यानी जानवर ऐसे हैं, जिन्हें रोज-रोज शिकार ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती.

टार्डीग्रेड

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टार्डीग्रेड

डार्विन का मशहूर सिद्धांत- 'सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट' इंसानों और जानवरों दोनों पर लागू होता है. खासकर जानवरों का जीवित रहना अक्सर जंगली की परिस्थितियों में अनुकूल होने की क्षमता पर निर्भर करता है. भोजन-पानी की भारी कमी हो. मनुष्यों में भूख और प्यास को लेकर बहुत कम सहनशीलता होती है. इंसानों को जीवित रहने के लिए हर दिन भोजन या पानी चाहिए. इसी धरती में कुछ असाधारण जीव हैं जो बिना भोजन और पानी के लंबे समय तक जीवित रहते हैं. ऐसे जीवों  में एक है टार्डीग्रेड, इसे वॉटर बियर भी कहते हैं. जब ये भोजन की कमी का सामना करता है तो 'क्रिप्टोबायोसिस' नामक अवस्था में चला जाता है. इस हालत में ये भोजन या पानी और यहां तक कि जीरो डिग्री सेल्सियस से लेकर 150 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर के बीच सालों जिंदा रह सकते हैं. जब मौसम में नमी वापस आती है, तो वे फिर से हाइड्रेट होकर जग जते हैं, जैसे कि कुछ हुआ ही न हो.

लंगफिश

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लंगफिश

अफ्रीकी लंगफिश के पास खुद को जिंदा रखने की एक दिलचस्प और जबरदस्त निंजा तकनीक है. सूखा पड़ने के दौरान जब नदियां सूख जाती हैं, तो लंगफिश कीचड़ में दब जाती है और अपने चारों ओर एक सुरक्षात्मक फ्लूड स्रावित करने के बाद ये उस अवस्था में चली जाती है, जो हाइबरनेशन का एक रूप है. ये अपना भोजन पचाने की प्रकिया रोक देती है. इस तरह निष्क्रिय अवस्था यानी एक तरह के कोमा में गई लंगफिश कुछ भी खाती या पीती नहीं है. ये बिना फूड के चार साल तक जीवित रह सकती है. जब बारिश वापस आती है और नदी में फिर से पानी और बाढ़ आती है, तो यह अपने कोकून से बाहर निकलकर यानी उस आवरण में मुक्त हो जाती है और अपनी सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू कर देती है. मछली का ये अनुकूलन इसे दुनिया के कुछ सबसे गंभीर मौसमी सूखे को भी सहने में मददगार साबित होता. शायद इसीलिए ये प्रजाति लाखों सालों तक सर्वाइव कर सकी है.

मॉन्सटर

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मॉन्सटर

गिला मॉन्स्टर दुनिया की सबसे जहरीले जीवों (छिपकलियों की प्रजाति) में से एक है. ये अपने शरीर की एनर्जी स्टोर करने में माहिर है. यह दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका और मेक्सिको के रेगिस्तानों का मूल निवासी है. जो बिना भोजन के महीनों तक जिंदा रह सकता है. इसकी जीवनशैली बेहद सुस्त है. यह आलसी है. बहुत कम चलता है. इसके खाना पचाने की प्रकिया बेहद धीमी है, जो इसे बड़े लंबे समय तक अपनी एनर्जी को स्टोर करने की ताकत देता है. मॉन्सटर पूंछ और पेट में फैट यानी वसा जमा करता है. तगड़ा मील यानी बड़े जीव को खाने के बाद (अंडे या फिर पक्षी या छोटे स्तनधारी जीव) उसे हफ्तों तक भूख नहीं लगती है. ये जीव न्यूनतम संसाधनों पर जीवित रहने की क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण है.

रेगिस्तान का जहाज

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रेगिस्तान का जहाज

जब लंबे समय तक भूखे-प्यासे रहने का जिक्र होता है तो रेगिस्तान के इस बादशाह का नाम अपने आप जुबां पर आ जाता है. ऊंट इस रेंज के सबसे पॉपुलर एक्सपर्ट जीव होते हैं. ऊंट बिना पानी के 15 दिनों तक और बिना भोजन के उससे भी ज़्यादा समय तक जीवित रह सकते हैं. आम धारणा के विपरीत ऊंट अपने कूबड़ में पानी नहीं बल्कि वसा/फैट जमा करते हैं. जिसका इस्तेमास ऊंट अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कर सकता है. ऊंट, शरीर के पानी को स्टोर करने में निपुण होता है. ऊंट का पेशाब यानी यूरिन बेहद गाढ़ा होता है. उनके शरीर से बहुत सूखा मल निकलता है. ऊंट शरीर के तापमान की बढोतरी को आसानी से सह लेते हैं. ऊंट के शरीर का मैकेनिज्म इन्हें पसीना बहाने से बचाता है. शायद इसलिए इसे रेगिस्तान का जहाज़ कहा जाता है.

पेंग्विन

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पेंग्विन

बर्फीले मौसम वाले अंटार्कटिका में मादा पेंग्विन द्वारा अंडा देने के बाद, वह भोजन करने के लिए समुद्र में वापस चली जाती है और नर को कठोर सर्दियों की परिस्थितियों में अपने अंडे को सेने के लिए छोड़ देती है. ये अवधि जो करीब 60 दिन तक हो सकती है उसमें मेल पेंग्विन कुछ भी खाता या पीता नहीं है. वो पहले से जमा हुए फैट स्टोरेज पर जीवित रहता है. बर्फीले मौसम में गर्मी और शरीर की ऊर्जा को संरक्षित करने के लिए नर पेंग्विन बड़े समूहों में एक साथ रहते हैं. इनका शरीर -40 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान और 100 किमी/घंटा से अधिक की हवा की रफ्तार को आराम से सहन कर लेते हैं. इतने लंबे समय तक फास्टिंग यानी उपवास करने की उनकी क्षमता, साथ-साथ अपने अंडे को सुरक्षित और गर्म रखना उनकी सहनशक्ति और एक पैरेंट के समर्पण के सबसे अभूतपूर्व उदाहरणों में से एक है.

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