Woman Warriors: इतिहास में भारत ने ना जानें कितने युद्ध देखे और उनसे होने वाले विनाश को भी भुगता. भारतीय इतिहास में सिर्फ राजाओं का ही नहीं बल्कि महिला योद्धाओं का भी इस देश को बचाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है जिसके किस्से कम ही सुनने में आते हैं. आज हम आपको भारत की 6 सबसे ताकतवर महिला योद्धाओं के बारे में बताएंगे.
बचपन में मणिकर्णिका तांबे के रूप में जानी जाने वाली लड़की आगे जाकर रानी लक्ष्मी बाई के नाम से प्रसिद्ध हुईं. बचपन से ही घुड़सवारी, तलवारबाजी और तीरंदाजी में बड़े-बड़े योद्धाओं को भी चुनौती देती थीं. 'मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी' इस शब्द के साथ उन्होंने अंग्रेजों को धूल चटाना शुरु कर दिया था.
यह भारत की पहली महिला योद्धा थी जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन में कदम आगे बढ़ाए थे. यह तमिलनाडु के शिवगंगा की रानी थीं. अंग्रेजों द्वारा उनके पति की हत्या के बाद उन्होंने सेना इकट्ठा कर के अंग्रेजों के गोला-बारूद के भंडार को नष्ट करना शुरु कर दिया. इन्होंने बदलाव का इंतजार ना करते हुए खुद ही बदलाव करने की ठानी.
पश्चिमी चालुक्य राजवंश के तहत एक प्रांत की राज्यपाल के रूप में उन्होंने निष्पक्षता से शासन किया और जब दुश्मनों ने हमला करने की हिम्मत की तो पूरी बहादुरी के साथ लड़ीं. उन्होंने महिलाओं को दीवारों के पीछे रहने के भ्रम को तोड़ा और सामने आकर सेना का युद्ध में नेतृत्व किया.
16वीं सदी की इस गोंड रानी के राज्य पर जब मुगलों की गलत नजर पड़ी तो सारी करुणा और दया को किनारे रख इन्होंने पूरी वीरता के साथ युद्ध किया. हाथी पर सवार और हाथ में तलवार लेकर लड़ने वाली रानी दुर्गावती ने घुटने टेकने से मना कर दिया और अपनी आखिरी सांस तक लड़ती रहीं.
शारीरिक रूप से विगलांग इस रानी ने कमजोरी की ढाल ना लेते हुए शासन किया और रास्ते में आने वाली हर चुनौती को मात भी दी. 10वीं सदी में पूरी बहादुरी के साथ कश्मीर पर शासन किया और अपने विरुद्ध होने वाले हर विद्रोह का खुलकर सामना किया.
1857 में हुए स्वतंत्रता संग्राम के नायक के रूप में इन्हें याद किया जाता है. जब ब्रिटिश सेना ने झांसी पर हमला किया तो झलकारी बाई ने रानी का वेश धारण किया और अपने दुश्मनों को गुमराह करने के लिए नकली सेना का नेतृत्व करने लगीं, उन्होंने ऐसा ये जानते हुए किया था की इसमें उनकी जान जा सकती थी.
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