Albert Einstein Brain: जब दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइंस्टीन की मौत हुई तो उनके दिमाग को बहुत ही संभालकर रखा गया था. दुनिया को ऊर्जा का फॉर्मूला देने वाले Einstein ने कहा थी की एनर्जी कुछ भी नहीं बल्किव्यमान और उसकी स्पीड का ही बदला हुआ रूप है. आइए जानते हैं की क्यों उनके दिमाग के 240 टुकड़े कर दिए गए थे...
सन् 1921 को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए गए आइंस्टीन की जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के वुर्टेमबर्ग में उल्म नामक जगह पर हुआ था. जब उन्होंने 5 साल की उम्र में पहली बार कम्पास देखा तब बहुत ही आश्चर्य हुआ था और ब्रह्मांड की शक्तियों का दृश्य उनके दिमाग में बना था.
महज 12 साल की उम्र में ही उन्होंने अलजेब्रा और यक्लिडियन ज्योमेट्री सीख ली थी और बहुत जल्द ही आइंस्टीन ने सापेक्षता के सिद्धांत से ब्रह्मांड के नियमों को समझाया था. आगे चलकर इसी सिद्धांत ने E=mc2 ने पूरी विज्ञान को बदल कर रख दिया था.
Albert Einstein के आईक्यू लेवल की बात करें तो यह 160 के आस-पास था. लेकिन क्या आपको पता है की उनका दिमाग इतना खास था की मौत के बाद भी संभालकर रखा गया था.
मृत्यु के बाद प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के एक पैथोलॉजिस्ट डॉ थॉमस स्टोल्ट्स ने उनके दिमाग को चुरा लिया जिससे उसपर रिसर्च की जा सके जबकि आइंस्टीन की इस पर मनाही थी.
काफी समय बाद उनके दिमाग के 240 टुकड़े किए गए और उन्हें केमिकल सेलोइडिन में डालकर तहखाने में छुपा दिया गया था. उनके दिमाग की स्टडी में पाया गया कि उनका दिमाग न्यूरॉन्स और ग्लिया के असामान्य अनुपात से बना हुआ है.
हालांकि बहुत समय तक दिमाग की स्टडी करने के बाद भी आजतक आइंस्टिन के दिमाग को कोई पूरी तरह पढ़ नहीं पाया है की आखिर कैसे उनका दिमाग सबसे अलग और तेज था.
आइंस्टीन को इस बात का पहले से अंदाजा था कि उनके दिमाग पर आगे जाकर रिसर्च की जा सकती है इसलिए उन्होंने पहले ही इसके लिए मना कर दिया था.
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