धरती पर कुछ ऐसे भी ठंडे और अत्यधिक शुष्क क्षेत्र हैं, जिनमें जीवन की संभावना लगभग न के बराबर होती है. इन इलाकों को वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक प्रयोगशाला (Natural Laboratory) के रूप में देखा है, क्योंकि यहां की परिस्थितियां मंगल ग्रह जैसी कठोर हैं जहां नमी, तापमान और ऑक्सीजन का स्तर बेहद सीमित होता है.
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जब हम सूखे इलाकों की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में आमतौर पर गर्म रेगिस्तान जैसे सहारा या थार रेगिस्तान की तस्वीर उभरती है. परंतु धरती पर कुछ ऐसे भी ठंडे और अत्यधिक शुष्क क्षेत्र हैं, जिनमें जीवन की संभावना लगभग न के बराबर होती है. इन इलाकों को वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक प्रयोगशाला (Natural Laboratory) के रूप में देखा है, क्योंकि यहां की परिस्थितियां मंगल ग्रह जैसी कठोर हैं जहां नमी, तापमान और ऑक्सीजन का स्तर बेहद सीमित होता है. इनमें से कई इलाकों की मिट्टी, तापमान और वातावरण मंगल ग्रह की सतह से काफी मेल खाते हैं. यही वजह है कि अंतरिक्ष एजेंसियां इन्हें मंगल मिशनों के परीक्षण स्थल के रूप में भी इस्तेमाल करती हैं. यानी, यह कहना गलत नहीं होगा कि धरती के कुछ हिस्से न सिर्फ जीवन की सीमाओं की परीक्षा लेते हैं, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि मंगल पर जीवन कैसा हो सकता है?
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इन ठंडे और सूखे क्षेत्रों में वैज्ञानिक यह अध्ययन करते हैं कि जीवन किन परिस्थितियों में टिक सकता है और कैसे सूक्ष्मजीव (Microbes) अत्यधिक ठंड और सूखेपन में जीवित रह पाते हैं. ये अध्ययन एस्ट्रोबायोलॉजी (Astrobiology) यानी अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं को समझने में अहम भूमिका निभाते हैं.
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इन ठंडे रेगिस्तानों में सबसे प्रसिद्ध है अंटार्कटिका की मैकमर्डो वैलीज (McMurdo Dry Valleys). यह इलाका पूरी तरह बर्फ और ग्लेशियरों से घिरे महाद्वीप में स्थित होने के बावजूद, धरती की सबसे सूखी जगहों में से एक माना जाता है. यहां सालों तक बर्फबारी नहीं होती, और हवा इतनी शुष्क होती है कि बर्फ जमने के बजाय धीरे-धीरे वाष्प बनकर उड़ जाती है.
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मैकमर्डो वैलीज का वातावरण और मिट्टी मंगल ग्रह की सतह से काफी मेल खाते हैं. इसलिए, वैज्ञानिक यहां सूक्ष्मजीवों और पर्यावरणीय नमूनों का अध्ययन करते हैं ताकि यह समझा जा सके कि मंगल या अन्य ग्रहों पर जीवन किन परिस्थितियों में संभव हो सकता है. यह क्षेत्र एस्ट्रोबायोलॉजी (Astrobiology) के शोध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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जब हम सूखे इलाकों की बात करते हैं, तो आमतौर पर हमारे दिमाग में सहारा या थार रेगिस्तान जैसे गर्म और धूलभरे क्षेत्र आते हैं. लेकिन धरती पर कुछ ऐसे ठंडे और अत्यधिक शुष्क इलाके भी हैं, जो अपने कठोर वातावरण के कारण वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्यमयी प्रयोगशाला बन गए हैं. वैज्ञानिक इन जगहों का उपयोग जीवन की सीमाओं और मंगल ग्रह जैसी परिस्थितियों को समझने के लिए करते हैं.
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यहां का वातावरण, तापमान और सूखापन मंगल के सतही हालात से काफी मेल खाते हैं. वैज्ञानिक यहां पर मंगल ग्रह के संभावित जीवन, सूखापन, मिट्टी की संरचना और तापमान सहनशीलता जैसे प्रयोग करते हैं. उनका मानना है कि इस तरह के ठंडे और सूखे इलाके जीवन की अस्तित्व क्षमता और जैविक सीमाओं को समझने में मदद करते हैं.
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