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भारत का ऐसा वीर सपूत जिसके खौफ से दुश्मन के कलेजे फड़फड़ाने लगते, अंग्रेजों से पहले भारतीय उपमहाद्वीप किया था एकछत्र राज

Ashoka the Great: जब भी भारत के महान सम्राटों की बात होती है, तो एक नाम जरूर गर्व से लिया जाता है, उस सम्राट का नाम है सम्राट अशोक. वो शूरवीर, जिसने अंग्रेजों से भी कई सालों पहले अपने पराक्रम से पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था. क्या आप जानते हैं अशोक ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी ताकत की छाप छोड़ी थी. अशोक की कहानी में सिर्फ जंग ही नहीं है, शांति, करुणा और इंसानियत का भी मेल है.एक क्रूर योद्धा का बौद्ध धर्म  प्रचारक बनना किसी चमत्कार से कम नहीं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इतने महान सम्राट की कहानी सदियों तक इतिहास के पन्नों में दबी रही. फिर उसे किसने दुनिया के सामने लाने में मदद की? आइए जानते हैं इस रहस्य की कहानी.

अशोक सम्राट क्यों हुए अमर?

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अशोक सम्राट क्यों हुए अमर?

भारत के इतिहास में एक नाम अमर है, शायद ही होई ऐसा होगा जो उनके बारे में कभी कुछ नहीं सुना हो. उनका नाम है सम्राट अशोक. करीब 270 ईसा पूर्व से 233 ईसा पूर्व तक अशोक ने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर राज किया. उनका साम्राज्य इतना बड़ा था कि न उससे पहले और न ही बाद में कोई भारतीय शासक इतना विशाल साम्राज्य बना सका. उनकी पहुंच श्रीलंका से लेकर अफगानिस्तान तक थी. पहले एक क्रूर योद्धा, फिर शांति और बाद में बौद्ध धर्म के प्रचारक के रूप में अशोक की कहानी अमर हो गई.

 

अशोक का कहानी हो गई थी गुम?

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अशोक का कहानी हो गई थी गुम?

Theguardian.com में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 18वीं सदी तक भारत में बौद्ध धर्म लगभग खत्म हो चुका था. न कोई बड़े मंदिर थे, न बौद्ध भिक्षु, और न ही कोई बौद्ध किताबें. लेकिन उत्तरी भारत में खुदाई के दौरान बौद्ध मूर्तियां, स्तूप और पत्थरों पर लिखे शिलालेख मिलने लगे. ये चीजें एक सवाल खड़ा करती थीं. जब भारत में बौद्ध धर्म खत्म हो चुका था, तो ये शानदार इमारतें और शिलालेख किसके समय की थीं?  

अशोक की खोज कैसे हुई?

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अशोक की खोज कैसे हुई?

चार्ल्स एलन की किताब Ashoka: The Search for India's Lost Emperor बताती है कि अशोक की कहानी को दोबारा खोजने में विदेशी और भारतीय विद्वानों ने बड़ी भूमिका निभाई. 18वीं सदी में विलियम जोन्स जैसे विद्वान भारत के इतिहास को यूरोप के इतिहास से जोड़ने की कोशिश कर रहे थे. उसी दौरान जेम्स प्रिंसेप नाम के एक अंग्रेज ने ब्राह्मी लिपि को पढ़ने का तरीका खोजा, जो तीसरी सदी ईसा पूर्व की थी.  

अशोक के क्या थे विचार

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अशोक के क्या थे विचार

इसके बाद एशियाटिक सोसाइटी के लोग मेहनत से काम में जुट गए. उन्होंने धातु की तख्तियां, खूबसूरत मूर्तियां, बौद्ध स्तूप और पत्थरों पर लिखे अशोक के शिलालेख खोजे. इन शिलालेखों में अशोक के विचार थे—अहिंसा, सच बोलना और सभी धर्मों का सम्मान. श्रीलंका की बौद्ध किताब महावंश ने भी अशोक की कहानी को समझने में मदद की. इस तरह, धीरे-धीरे अशोक की जिंदगी के टुकड़े जोड़े गए.  

अशोक की जिंदगी: युद्ध से शांति तक

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अशोक की जिंदगी: युद्ध से शांति तक

अशोक ने अपने बड़े भाई को हटाकर मौर्य सिंहासन हासिल किया था. शुरुआत में वे एक कठोर योद्धा थे. उन्होंने कलिंग (आज का ओडिशा) पर हमला किया, जिसमें लाखों लोग मारे गए. लेकिन इस युद्ध की तबाही ने अशोक का दिल बदल दिया. उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया और शांति का रास्ता चुना.  

पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर किया राज

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पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर किया राज

अशोक ने बौद्ध धर्म को भारत से लेकर श्रीलंका, थाईलैंड और मिस्र तक फैलाया. उन्होंने 84,000 स्तूप बनवाए और बौद्ध भिक्षुओं को लाखों सोने के सिक्के दान किए. साथ ही, उन्होंने सड़कें, अस्पताल, पशु चिकित्सालय और कुएं बनवाए. उनके शिलालेख बताते हैं कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते थे और अपनी प्रजा की भलाई चाहते थे.  

क्यों खास हैं अशोक?

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क्यों खास हैं अशोक?

अशोक सिर्फ एक सम्राट नहीं थे. वे एक ऐसे इंसान थे, जिन्होंने अपनी गलतियों से सीखा और दुनिया को बेहतर बनाया. उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची ताकत हथियारों में नहीं, बल्कि शांति और एकता में है.आज अशोक के शिलालेख और स्तंभ भारत की शान हैं. वे हमें याद दिलाते हैं कि एक समय ऐसा था जब भारत का एक सम्राट न सिर्फ तलवार, बल्कि  अपने दिल से भी दुनिया जीत रहा था.  

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