Guess This Bollywood Veteran Actor: बचपन की कुछ यादें कभी-कभी दिल को छू जाती हैं. आज हम आपको बॉलीवुड के कपूर खानदान के ऐसे सुपरस्टार के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी मां उसको कोख में ही मार डालना चाहती थीं. उस वक्त उन्होंने कोख में पल रहे उस बच्चे को जन्म न देने का मन बना लिया था. उन्होंने कई बार जानबूझकर ऐसी दिल दहला देने वाली कोशिशें की जिससे उनका बच्चा गिर जाए, लेकिन उनको क्या पता था कि आगे चलकर ये बच्चा ही हिंदी सिनेमा का एक बड़ा सुपरस्टार बन जाएगा.
बॉलीवुड का सबसे पुराना खानदान कपूर खानदान हैं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा के कई सुपरस्टार दिए. कपूर खानदान की पिछली कई पीढ़ियों से लेकर अब तक इंडस्ट्री पर राज कर रही है, लेकिन आज हम आपको इस खानदान के एक ऐसे चिराग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी मां उसको कोख में मार देना चाहती थी, जिसके लिए उन्होंने ऐसी-ऐसी साजिश रची थी कि सुनकर दिल दहल जाए. लेकिन उस बेटे की किस्मत में कुछ और लिखा था और आगे चलकर हिंदी सिनेमा का एक बड़ा सुपरस्टार बन गया.
हम यहां किसी और की नहीं, बल्कि 1948 में अपने भाई राज कपूर की फिल्म ‘आग’ से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपने करियर की शुरुआत करने वाले शशि कपूर की कर रहे हैं. उनका जन्म 18 मार्च, 1938 को हुआ था. वो पृथ्वीराज कपूर और रामसरनी कपूर के सबसे छोटे बेटे थे. उनके दो बड़े भाई – राज कपूर और शम्मी कपूर भी हिंदी सिनेमा के जाने-माने चेहरे थे. एक बहन उर्मिला सियाल भी थीं. शशि से पहले उनके माता-पिता ने दो बेटों को खो दिया था. उस दुख के बाद जब उर्मिला का जन्म हुआ.
उर्मिला के जन्म से परिवार में हर कोई काफी खुश था और उन्हें लगा कि अब परिवार पूरा हो गया है. शशि कपूर ने खुद अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी मां उन्हें 'फ्लूकी' क्यों कहती थीं? उन्होंने बताया था कि उनके माता-पिता एक और बच्चा नहीं चाहते थे, खासकर लड़का. वो चाहते थे कि घर में एक बेटी हो और जब बेटी हो गई, तो उनकी इच्छा पूरी हो गई. लेकिन 5 साल बाद जब उनकी मां को दोबारा प्रेग्नेंसी का पता चला, तो वो डर और शर्म से घबरा गईं. उन्होंने बताया कि उस समय अबॉर्शन आम बात नहीं था.
इसलिए उन्होंने अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को गिराने की दूसरी तरह से कोशिशें कीं. शशि ने बताया था कि उनकी मां अबॉर्शन के लिए साइकिल से गिर गई थीं. जब उससे भी कुछ नहीं हुआ था तो सीढ़ियों से उतरते समय खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश करती थीं, लेकिन उनका शरीर सब सहता रहा. उन्होंने बताया, 'मैं जिद्दी था और शायद मेरे लिए ही एक खास भविष्य लिखा गया था'. इसी वजह से वो खुद को फ्लूक एक्टर और फ्लूक इंसान मानते थे. उनकी मां की न चाहते हुए भी उनको जन्म दिया और उन्होंने खुब नाम कमाया.
शशि कपूर का फिल्मी करियर भी बहुत खास रहा. उन्होंने कई फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम करने के बाद 1961 में यश चोपड़ा की फिल्म ‘धर्मपुत्र’ से बतौर हीरो करियर शुरू किया. इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्में कीं, जिनमें ‘कन्यादान’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘दीवार’, ‘कभी कभी’, ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ और ‘हीरालाल पन्नालाल’ शामिल हैं. वो हर किरदार में लोगों के दिल में उतर जाते थे. शशि ने अंग्रेजी थिएटर ऐक्ट्रेस जेनिफर केंडल से शादी की थे. उनके तीन बच्चे हैं- कुणाल, करण और संजना और 2017 में दुनिया को अलविदा कह गए.
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