दिल्ली के छतरपुर में बसा फतेहपुर बेरी गांव भारत का 'बाउंसर गांव' के नाम से मशहूर है. इस गांव के ज्यादातर पुरुष बाउंसर या पहलवान हैं. यहां के लोग अपनी ताकत और फिटनेस के लिए जाने जाते हैं. गांव की खासियत है कि यह बाउंसर और पहलवानों को तैयार करता है. फतेहपुर बेरी को भारत का सबसे ताकतवर गांव माना जाता है, जहां की परंपरा में कुश्ती और शारीरिक ताकत गहरे बसी है.
नाइटक्लब और डिस्को में लोग जोश में डांस करते हैं और मस्ती में डूब जाते हैं. तेज रोशनी और जोरदार संगीत के बीच कई बार माहौल बेकाबू हो जाता है. लोग नशे में झगड़ा करते हैं या नियम तोड़ते हैं. ऐसे में बाउंसर की जरूरत पड़ती है. बाउंसर झगड़ों को रोकते हैं, कमजोर पक्ष की रक्षा करते हैं और शांति भंग करने वालों को बाहर निकालते हैं. फतेहपुर बेरी के पुरुष दिल्ली और एनसीआर के नाइटक्लबों में बाउंसर के रूप में काम करते हैं.
फतेहपुर बेरी के पुरुषों की ताकत का रहस्य उनकी अनुशासित दिनचर्या है. वे सुबह भारी वजन उठाने, कठिन व्यायाम और पारंपरिक कुश्ती से दिन शुरू करते हैं. उनकी डाइट भी सख्त और पौष्टिक होती है, जिसमें प्रोटीन और पोषक तत्व भरे होते हैं. ये लोग शराब या किसी नशे से दूर रहते हैं, जिससे वे हमेशा फिट और स्वस्थ रहते हैं. उनकी यह जीवनशैली उन्हें मजबूत और चुस्त बनाए रखती है.
फतेहपुर बेरी में ताकत की विरासत पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती है. गांव के ज्यादातर पुरुष बाउंसर या पहलवान बनते हैं. यह परंपरा गांव की पहचान बन चुकी है. दिल्ली और एनसीआर में नाइटक्लबों की बढ़ती संख्या के कारण इनके लिए नौकरियों की कमी नहीं है. गांव के लोग अपनी मेहनत और अनुशासन से न केवल अपने परिवार का नाम रोशन करते हैं, बल्कि देश में अपनी अनोखी पहचान भी बनाए रखते हैं.
फतेहपुर बेरी की ताकत अब सिर्फ गांव तक सीमित नहीं है. यहां के युवा नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं. गांव में अब जिम और ट्रेनिंग सेंटर भी खुल रहे हैं, जहां बाहरी लोग भी फिटनेस सीखने आते हैं. यह गांव न केवल बाउंसर और पहलवान तैयार करता है, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है. भविष्य में यह गांव और भी युवाओं को प्रेरित करेगा.
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