Who is K.M. Mammen Mappillai: दुष्यंत कुमार जी की पंक्तियों 'कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों' को केएम मैम्मन मप्पिल्लई ने अपनी जिंदगी में चरितार्थ किया है. मप्पिल्लई की जिंदगी की शुरुआत बहुत मुश्किल भरी थी. उनका फैमिली बिजनेस छिन गया तो उनके पास रहने तक की जगह तक नहीं थी. उन्होंने बुरे वक्त में मद्रास (अब चेन्नई) के अपने कॉलेज के फर्श पर रातें गुजारीं, लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी.
तमाम मुश्किलों के बीच भी उन्होंने हार नहीं मानी और कुछ बड़ा करने का सपना देखा. पढ़ाई पूरी करने के बाद मैम्मन ने छोटे लेवल पर बिजनेस की शुरुआत की. उन्होंने मद्रास की सड़कों पर खिलौने वाले गुब्बारे बेचे. यह काम भले ही छोटाा था लेकिन इससे उन्हें जो कमाई हुई, उससे उनकी कारोबारी सोच डेवलप हुई. इस छोटी सी शुरुआत ने उनके बड़े सपनों की नींव रखी.
इसके बाद उन्होंने और भी कुछ कामों को करके अनुभव जुटाया. साल 1946 की बात है, मैम्मन ने बड़ा कदम उठाया और मद्रास रबड़ फैक्ट्री (MRF) शुरू की. यह एक छोटी यूनिट थी, जो खिलौने वाले गुब्बारे बनाती थी. यह कंपनी उनके फ्यूचर के विशाल साम्राज्य की पहली सीढ़ी थी.
मैम्मन ने गुब्बारे बेचकर जो पैसा कमाया, उन्हें नए बिजनेस में लगा दिया. 1952 में उन्होंने पुराने टायरों को दोबारा यूज करने के लायक बनाने का काम शुरू किया. उनका यह फैसला बहुत फायदेमंद साबित हुआ और एमआरएफ को टायर इंडस्ट्री में ले गया.
सन 1961 तक एमआरएफ (MRF) ने देश के टायर रीट्रेडिंग मार्केट में 50% से ज्यादा शेयर हासिल कर लिया. विदेशी कंपनियों को पीछे छोड़ते हुए एमआरएफ ने अपनी पहली टायर फैक्ट्री शुरू कर दी. इस खास मौके पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने फैक्ट्री का उद्घाटन किया था.
इस शुरुआत के बाद एमआरएफ (MRF) ने धीरे-धीरे देशभर में अपनी अलग पहचान बनाई. 1992 में मैम्मन मप्पिल्लई को भारतीय उद्योग में योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया. इसके बाद उनकी कंपनी की पहचान घर-घर में हो गई.
एमआरएफ का नाम देशभर में मशहूर होने का बड़ा कारण क्रिकेट भी है. विराट कोहली जैसे क्रिकेट सितारों ने एमआरएफ टायर्स का विज्ञापन किया, जिससे यह ब्रांड करोड़ों लोगों तक पहुंचा और दुनियाभर में मशहूर हो गया.
केएम मैम्मन मप्पिल्लई का साल 2003 में निधन हो गया. लेकिन उनकी बनाई कंपनी आज भी लगातार आगे बढ़ रही है. आज एमआरएफ देश की सबसे बड़ी टायर कंपनी है, जिसकी मार्केट कैप 59,478 करोड़ रुपये है. गुब्बारे बेचने से लेकर कारेाबारी जगत का सितारा बनने तक उनका संघर्ष मेहनत और सपनों को सच करने की कहानी दर्शाती है.
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