इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस द्वारा तैयार किया गया ग्लोबल पीस इंडेक्स (GPI) 163 देशों में शांति को 23 संकेतकों के आधार पर मापता है. इस माप में सामाजिक सुरक्षा, संघर्ष और सैन्यीकरण शामिल हैं. इस माप में कम स्कोर का मतलब है देश में स्थिरता और ज्यादा स्कोर का मतलब है उस देश में बहुत खतरा है.
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एशिया एक बहुत ही आश्चर्यजनक विविधताओं वाला महाद्वीप है. यहां पर प्राचीन प्रतिद्वंदिताएं और मौजूदा जमीनी सियासत के टकराव होते रहते हैं जिसकी वजह से ये संघर्षों का एक केंद्र बन चुका है. इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस द्वारा तैयार किया गया ग्लोबल पीस इंडेक्स (GPI) 163 देशों में शांति को 23 संकेतकों के आधार पर मापता है. इस माप में सामाजिक सुरक्षा, संघर्ष और सैन्यीकरण शामिल हैं. इस माप में कम स्कोर का मतलब है देश में स्थिरता और ज्यादा स्कोर का मतलब है उस देश में बहुत खतरा है. साल 2024 में GPI आइसलैंड के शांत 1.112 से लेकर यमन के खतरनाक 3.397 तक के स्कोर मापे गए हैं. इसमें एशिया का औसत 2.228 वैश्विक औसत 2.10 से अधिक है.यह बताता है कि ये एक तनाव वाला इलाका है. वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की 2024 रैंकिंग में एशिया के सबसे अस्थिर देशों पर नजर डाली गई तो यहां पर सात सबसे खतरनाक एशियाई देशों की सूची मिली. आइए आपको बताते हैं कि कौन सा देश कितना खतरनाक है और इस लिस्ट में भारत की स्थिति क्या है?
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यमन 3.397 के GPI स्कोर के साथ एशिया की सबसे खतरनाक सूची में शीर्ष पर है. यमन में पिछले एक दशक से गृहयुद्ध जारी है यह पूरे देश के लिए एक भयावाह बात है. यहां पर ईरान समर्थित हूती विद्रोह सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन से लड़ रहा है. इस युद्ध ने एक ऐसे देश को तबाह कर दिया है जहां संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 80 प्रतिशत आबादी (24 मिलियन से अधिक लोग), मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. मई 2025 में इजरायल ने यमन में हूती आंदोलन के खिलाफ हवाई हमलों की एक सीरीज शुरू की. हवाई हमलों, अकाल, और कॉलरा के प्रकोपों ने 2015 से अब तक 1,50,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है. इसकी वजह से यहां लगातार अस्थिरता जारी है और शांति लगभग खत्म हो चुकी है.
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अफगानिस्तान 3.294 के स्कोर के साथ इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर है.अफगानिस्तान में साल 2023 के 3.448 से थोड़ा सुधार दिखाई देता है फिर भी यह निरंतर संघर्ष वाला देश बना हुआ है. साल 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जा करने के बाद से वहां पर शांति और स्थिरता की उम्मीदों को कुचल के रख दिया. तालिबान के कठोर शासन ने देश में आर्थिक पतन और भुखमरी को बढ़ावा दिया है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के अनुसार 90 प्रतिशत अफगान खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. इस्लामिक स्टेट-खोरासन जैसे समूहों द्वारा विद्रोह जारी है जबकि आंतरिक असंतोष का दमन क्रूरता से किया जाता है. GPI के मापदंड जैसे उच्च आतंकवाद प्रभाव और निम्न सामाजिक सुरक्षा अफगानिस्तान को अराजकता के अंधकार में धकेलते हुए दिखाई दे रहे हैं.
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इस लिस्ट में सीरिया का 3.173 स्कोर इसे चौथे स्थान पर रखता है. सीरिया में पिछले 13 साल से लगातार गृहयुद्ध छिड़ा हुआ है. ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, यहां पर 500,000 से अधिक लोग मारे गए और आधी आबादी विस्थापित हुई. असद का शासन रूस और ईरान के समर्थन से विद्रोहियों और जिहादियों से टकराता है. GPI सीरिया के खराब सुरक्षा मापदंडों को उजागर करता है. जिसमें शरणार्थी प्रवाह तुर्की जैसे पड़ोसियों को अस्थिर कर रहा है. इसका टूटा-फूटा राज्य विदेशी प्रॉक्सी से भरा हुआ एक मानवीय तबाही और क्षेत्रीय तनाव का केंद्र बना हुआ है.
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उत्तर कोरिया 3.055 के स्कोर के साथ इस लिस्ट में छठे स्थान पर है. इसकी अपारदर्शिता एक दमनकारी और परमाणु ताकतवर शासन को छिपाती है. GPI इसके भारी सैन्य खर्च को चिह्नित करता है, जो आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के अनुमानों के अनुसार GDP का 25 प्रतिशत तक है और असंतोष के प्रति जीरो टॉलरेंस है. मिसाइल परीक्षण और दक्षिण कोरिया के साथ सीमा पर हमेशा तनाव बनाए रखते हैं. उत्तर कोरिया की अलगाववादी नीति इसके खतरे को बढ़ाती है.
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पाकिस्तान 2.783 के GPI के साथ 10वें स्थान पर है एक ऐसा राष्ट्र जो पतन के कगार पर है. भारत के प्रति पाकिस्तानी सेना का जुनून लगातार सीमा पर झड़पों को बढ़ावा देता है. पाकिस्तान में भ्रष्टाचार इसके शासन को कमजोर करता है. जबकि देश में आर्थिक संकट ने पूरे पाकिस्तान की स्थिति को खराब कर रखा है. विश्व बैंक के अनुसार 2023 में 40 प्रतिशत मुद्रास्फीति तक पहुंच गई है जिसने पूरे देश को अस्थिर कर दिया है. परमाणु महत्वाकांक्षाएं और राजनीतिक उथल-पुथल पूरे पाकिस्तान के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है.
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भारत 2.319 के GPI के साथ इस लिस्ट में 14वें स्थान पर है. भारत विकास और खतरों के बीच संतुलन बनाए हुए चल रहा है. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार, साल 2023 के मणिपुर हिंसा जिसमें 60,000 लोग विस्थापित हुए और पूर्व में नक्सलवादी विद्रोह भारत के स्कोर को प्रभावित करते हैं. चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद, पहलगाम हमला बाहरी तनाव को बढ़ाता है. इसके बावजूद भी भारत के लोकतांत्रिक संस्थान और आर्थिक विकास पूर्ण अराजकता को कम करते हैं. यह अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान (2.783, 10वां) से बेहतर है लेकिन जापान (1.525, 45वां) से पीछे है.
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इजरायल 3.115 के स्कोर के साथ इस लिस्ट में पांचवें स्थान पर है इसका GPI स्कोर 2022 के 2.776 से बिगड़ गया है. अक्टूबर 2023 के हमास हमले और गाजा युद्ध के कारण इजरायल की रैंकिंग में गिरावट आई. संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, 40,000 से अधिक मौतें हुई हैं जिनमें अधिकांश फ़िलिस्तीनी हैं और हिजबुल्लाह के उत्तरी हमलों ने तनाव को बढ़ाया है. GPI के पैमाने में इजरायल में बढ़ता सैन्यीकरण और आतंकवाद के खतरे इजरायल की अस्थिर स्थिति दिखाते हैं. इसकी अपडेटेड ऑर्मी पावर और सामाजिक लचीलापन सीमा पर लगातार खतरों से कमजोर पड़ता है.
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रूस 3.249 के GPI स्कोर के साथ इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर है. इसके एशियाई क्षेत्र यूक्रेन युद्ध के परोक्ष प्रभावों से प्रभावित हैं. तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुके इस युद्ध ने देश में सैन्यीकरण को बढ़ावा दिया है. इसमें स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के अनुसार 2022 से रक्षा खर्च में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. घरेलू असंतोष का दमन किया जाता है, और साइबेरिया के जातीय अल्पसंख्यकों को जबरन भर्ती का सामना करना पड़ता है. विजन ऑफ ह्यूमैनिटी का GPI रूस के उच्च संघर्ष स्कोर को नोट करता है. वो बाहरी आक्रामकता और आंतरिक दमन से प्रेरित है. इसी वजह से एशिया का एक बड़ा क्षेत्र अशांति से घिर गया है.
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