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शुरू होने वाली है चैत्र नवरात्रि, इन 5 वास्तु नियमों का रखें ख्याल, मां दुर्गा बरसाएंगी कृपा

Chaitra Navratri 2025: इस वर्ष चैत्र नवरात्र 30 मार्च, रविवार से आरंभ हो रहे हैं. नवरात्र में मां भगवती के नौ स्वरूपों की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है. भक्तगण मां का आशीर्वाद पाने के लिए नौ दिनों तक उपवास भी रखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि की पूजा में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व होता है?आइए जानते हैं नवरात्रि पूजा के लिए वास्तु के महत्वपूर्ण नियम.

पूजा से पहले घर की साफ-सफाई करें

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पूजा से पहले घर की साफ-सफाई करें

नवरात्र के पहले दिन घर की पूरी तरह से साफ-सफाई करें. घर से फालतू और अनुपयोगी सामान हटा दें, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है. पूजा स्थल को पवित्र करने के लिए धूप-दीप जलाएं और वातावरण को सुगंधित करें.

पूजा के लिए उत्तम स्थान

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पूजा के लिए उत्तम स्थान

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा के लिए उत्तर या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा सबसे शुभ मानी जाती है. इस दिशा को देवस्थान भी कहा जाता है. मां की मूर्ति या कलश स्थापना ईशान कोण में करें. इस दिशा में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.

पूजा के समय किस दिशा में रखें मुख

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पूजा के समय किस दिशा में रखें मुख

पूजा करते समय मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. पूर्व दिशा में देवताओं का वास माना जाता है. यह दिशा शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का स्रोत है.

कहां रखें माता की मूर्ति या तस्वीर?

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कहां रखें माता की मूर्ति या तस्वीर?

माता की मूर्ति या तस्वीर लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें. मूर्ति या तस्वीर रखने से पहले स्वास्तिक का चिह्न अवश्य बनाएं. चंदन या आम की लकड़ी की चौकी सबसे शुभ मानी जाती है.

अखंड ज्योति के लिए सही दिशा

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अखंड ज्योति के लिए सही दिशा

नवरात्र में कई भक्त अखंड ज्योति जलाते हैं. अखंड ज्योति आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में जलाना शुभ होता है. अग्नि देवता का स्थान होने के कारण यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को बढ़ाती है. अखंड ज्योति जलाने से पहले संकल्प अवश्य लें और पूजन विधिपूर्वक करें.

पूजा सामग्री रखने की सही दिशा

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पूजा सामग्री रखने की सही दिशा

पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री जैसे गुग्गुल, कपूर, लोबान, घी आदि को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें. पूजा सामग्री को लाल रंग के कपड़े पर रखें. मां की पूजा में लाल रंग विशेष शुभ माना जाता है. 

पूजा में इन धातु के बर्तनों का करें उपयोग

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पूजा में इन धातु के बर्तनों का करें उपयोग

माता की पूजा में विशेष धातुओं के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए. तांबे और पीतल के बर्तन श्रेष्ठ माने जाते हैं. यदि संभव हो, तो चांदी की थाली या जलपात्र का भी उपयोग करें. मां भगवती को लाल रंग के ताजे फूल अर्पित करें. 

घर के द्वार पर स्वास्तिक और तोरण लगाएं

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घर के द्वार पर स्वास्तिक और तोरण लगाएं

मुख्य द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. दरवाजे पर आम के पत्तों का तोरण लगाए. जिस स्थान पर कलश स्थापना हो, वहां भी स्वास्तिक बनाना शुभ होता है. इससे वास्तु दोष दूर होता है. मां भगवती के स्वागत के लिए यह आवश्यक है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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