Heart Attack VS Cardiac Arrest: दिल की बीमारी से मौत की जब भी बात आती है, ज्यादातर लोग हार्ट अटैक ही समझते हैं. लेकिन हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट अलग चीज है. हालांकि दोनों ही मौत का कारण बनती हैं. लेकिन हार्ट संबंधी समस्याओं को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि दिल का दौरा और हार्टबीट का रुकना दो अलग-अलग इमरजेंसी मेडिकल कंडीशन.
हार्ट खून को पंप करके शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व को पहुंचाते है. इसकी मांसपेशियों को सही ढंग से काम करने के लिए कोरोनरी धमनियों से खून की जरूरत होती है. यदि इन धमनियों में रुकावट हो जाती है, तो हार्ट की मांसपेशियों को पर्याप्त खून और ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है, जिससे हार्ट सही तरह से फंक्शन नहीं कर पाता है. इससे हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट होता है.
दिल का दौरा तब होता है जब हार्ट की मांसपेशियों में चोट लगती है या उसका हिस्सा मर जाता है. यह आमतौर पर कोरोनरी धमनियों में रुकावट के कारण होता है. इस रुकावट का कारण अक्सर एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में फैटी लेयर का जमना) होता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को बाधित करता है.
दिल का दौरा होने पर आमतौर पर सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, मतली, और पसीना आना जैसे लक्षण महसूस होते हैं.
कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब हार्टबीट अचानक बंद हो जाती है. यह स्थिति हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होती है और इसके चार मुख्य प्रकार होते हैं- वेंट्रीकुलर टैचीकार्डिया, वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन, बिना नब्ज के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी, एसिस्टोल. हार्ट बीट रुकने के कारण हार्ट सही तरह से खून पंप नहीं कर पाता है. जिसके कारण तुरंत इलाज की जरूरत पड़ती है.
इसके लक्षणों में अचानक बेहोशी, नब्ज या दिल की धड़कन का बंद होना, सांस का रुक जाना, और त्वचा का पीला या नीला पड़ना शामिल है.
दिल का दौरा और धड़कन का रुकना दोनों ही हार्ट के ठीक से काम न करने से संबंधित हैं, लेकिन उनके कारण और परिणाम अलग-अलग होते हैं. दिल का दौरा हार्ट की मांसपेशियों में चोट या मृत्यु के कारण होता है, जबकि धड़कन का रुकना हार्ट की धड़कन में इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी के कारण होता है. हार्ट अटैक कार्डियक अरेस्ट की संभावना को बढ़ा देती है.
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