तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को 108 टुकड़ों में विभाजित कर दिया. इनमें से 52 टुकड़े पृथ्वी पर गिरे और बाकी अन्य ग्रहों पर. ये सभी स्थान शक्ति पीठ बन गए, जहां देवी के विभिन्न रूपों की पूजा होती है.
भगवान शिव ने क्रोध में दक्ष को दंड दिया, लेकिन बाद में उसे माफ कर जीवित कर दिया. सती की मृत्यु से दुखी भगवान शिव उनके शरीर को लेकर ब्रह्मांड में भटकने लगे.
शिव पुराण के अनुसार, दक्ष-प्रजापति अपनी बेटी सती के लिए योग्य वर ढूंढ रहे थे. लेकिन सती ने भगवान शिव को चुना, जिससे दक्ष नाराज हो गए. दक्ष ने एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया और शिव को न्योता नहीं दिया. इस अपमान से दुखी होकर सती ने आत्मदाह कर लिया.
तीर्थयात्री हिंगोल नदी के किनारे बने इस प्राचीन मंदिर तक पहुंचने के लिए सैकड़ों सीढ़ियां चढ़ते हैं. वे नारियल और गुलाब की पंखुड़ियां एक गड्ढे में चढ़ाते हैं और माता से दर्शन की अनुमति मांगते हैं.
हर साल वसंत ऋतु में हिंगलाज यात्रा का आयोजन होता है. यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा हिंदू उत्सव है. इस साल इस उत्सव में एक लाख से ज्यादा हिंदू तीर्थयात्री शामिल होने की उम्मीद है.
हिंगलाज माता मंदिर को हिंगलाज देवी, हिंगुला देवी और नानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नेशनल पार्क में स्थित है. यह पाकिस्तान में तीन शक्ति पीठों में से एक है. अन्य दो शक्ति पीठ हैं शिवहरकराय और शारदा पीठ.
लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में तीन दिन तक पूजा करने से सारे पाप माफ हो जाते हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी महाराज गोपाल ने कहा, "यह हिंदू धर्म का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल है." यहां के मुसलमान हिंदुओं की सेवा करते हैं.
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