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Operation Sindoor: जिस राफेल ने आतंकियों को पहुंचाया जहन्नुम, वो एक मिशन में कितना तेल खर्च करता है?

Operation Sindoor: फ्रांस निर्मित राफेल फाइटर जेट को  2020 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया है, जो ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभा रहा है. पहलगाम में हुए हमले का बदला लेने के लिए भारतीय वायुसेना ने बुधवार को राफेल जेट का इस्तेमाल कर पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया.  यह पहली बार था जब स्कैल्प क्रूज मिसाइलों और हैमर प्रिसिजन बमों से लैस राफेल फाइटर प्लेन्स का इस्तेमाल किया गया. ऐसे  में चलिए जानते हैं  कि जैसे राफेल जेट में प्रति घंटे कितना फ्यूल खपत होता है.

क्रूज़ बनाम कॉम्बैट

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क्रूज़ बनाम कॉम्बैट

राफेल जेट क्रूज़िंग उड़ान में प्रति घंटे करीब 2,500 लीटर फ्यूल की खपत करता है. हालांकि, लड़ाकू युद्धाभ्यास या आफ्टरबर्नर एक्टिवेशन के दौरान यह आंकड़ा लगभग 9,000 लीटर प्रति घंटे तक बढ़ सकता है. यह वेरिएबिलिटी जेट के परिचालन लचीलेपन को दर्शाती है, हालांकि इसके लिए मज़बूत फ्यूल बुनियादी ढांचे की जरूरत होती है.

इंजन की ताकत

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इंजन की ताकत

इस जेट को दो M88-2 टर्बोफैन इंजन द्वारा संचालित किया जाता है, जो संयुक्त रूप से 16,850 पाउंड का थर्स्ट पैदा करते हैं. यह इंजन सेटअप विमान को मैक 1 की गति तक पहुंचने और अलग-अलग इलाकों में हवाई श्रेष्ठता ( Air Superiority ) और बड़े मिशनों का सपोर्ट करने की इजाजत देता है.

 

फ्यूल कैपेसिटी और रेंज

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फ्यूल कैपेसिटी और रेंज

राफेल अपने अंदर के टैंकों और तीन बाहरी टैंकों के साथ करीब 11.4 टन फ्यूल  आसानी से ले जा सकता है. इसलिए, यह 3,700 किलोमीटर की फेरी रेंज को पूरा करने में सक्षम है. इस दौरान इसे लंबी दूरी की तैनाती के लिए आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें ओवरसी या हाई एल्टीट्यूड वाले ऑपरेशन शामिल हैं, जैसे कि ऑपरेशन सिंदूर में देखा गया था.

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भारत के अलावा इस फाइटर जेट का इस्तेमाल माली, लीबिया, इराक, सीरिया और अफगानिस्तान समेत कई देशों में किया गया है. एक भरोसेमंद बहु-मिशन लड़ाकू विमान के रूप में डसॉल्ट राफेल की प्रतिष्ठा मजबूत हुई है.

भारतीय वायुसेना की रणनीति

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भारतीय वायुसेना की रणनीति

राफेल का फ्यूल प्रोफ़ाइल इसकी तैनाती के दौरान ईंधन रसद ( Fuel Logistics ) में रणनीतिक योजना की जरूरत को भी उजागर करता है. खासतौर से एक्सटेंड मिशनों के लिए. हमारी Air Superiority को बनाए रखना इफेक्टिव फ्यूल सप्लाई चेन को बनाए रखने पर निर्भर करता है, क्योंकि भारत ऐसे अहम वक्त के दौरान विमानों की तैनाती का विस्तार करता है, खासकर विवादित इलाकों में.

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