India Highest Dam: चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी (यारलुंग त्सांगपो) पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की शुरुआत कर दी है. यह खबर सामने आते ही भारत में भी चिंता बढ़ी कि अगर चीन अचानक पानी छोड़ता है तो अरुणाचल और असम जैसे पूर्वोत्तर के राज्य भारी बाढ़ का शिकार हो सकते हैं.
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इसी खतरे को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में दिबांग मल्टीपर्पज़ प्रोजेक्ट पर फोकस तेज कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसकी प्रगति की समीक्षा कर इसे समय पर पूरा करने का निर्देश दिया है. यह बांध भारत की ओर से चीन के सुपर डैम का जवाब माना जा रहा है. ऐसा करना दुनिया को भारत का संदेश भी होगा कि अब भारत रुकने वाला नहीं है.
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दिबांग मल्टीपर्पज़ प्रोजेक्ट डैम को 2880 मेगावाट क्षमता वाला बनाया जा रहा है. यह बांध 2032 तक तैयार हो जाएगा और तब यह भारत का सबसे ऊंचा बांध होगा. इसकी ऊंचाई और मजबूती इस तरह डिजाइन की जा रही है कि यह न सिर्फ बिजली उत्पादन में मदद करेगा बल्कि चीन की ओर से छोड़े गए अतिरिक्त पानी को भी संभाल पाएगा. यह रणनीतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
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बीते सप्ताह पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस प्रोजेक्ट और अन्य सात मेगा प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की. उन्होंने साफ कहा कि किसी भी तरह की देरी देश को दोहरी मार देती है. इससे एक तो लागत बढ़ जाती है और दूसरी ओर जनता समय पर सुविधा से वंचित रह जाती है. उन्होंने अधिकारियों को नतीजा देने वाली कार्यशैली अपनाने पर जोर दिया.
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ब्रह्मपुत्र नदी दोनों देशों के बीच सहयोग का पुल भी हो सकती थी, लेकिन चीन के मेगा डैम प्रोजेक्ट ने इसे प्रतिस्पर्धा का मैदान बना दिया है. चीन का तर्क है कि यह बांध बिजली और विकास के लिए जरूरी है, जबकि भारत को चिंता है कि इसका सीधा असर उसमें पानी प्रवाह और बाढ़ नियंत्रण पर पड़ेगा. यही कारण है कि भारत अब अपने स्तर पर सुरक्षा कवच के रूप में दिबांग प्रोजेक्ट को देख रहा है.
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अरुणाचल और असम में हर साल भारी बारिश और बाढ़ से तबाही होती है. दिबांग डैम इन इलाकों के लिए एक बफर की तरह काम करेगा. यह पानी को रोककर नियंत्रित तरीके से छोड़ेगा, जिससे अचानक आने वाली बाढ़ से राहत मिल सके. इसके अलावा, यहां से पैदा होने वाली बिजली पूर्वोत्तर के राज्यों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी.
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विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रोजेक्ट केवल बिजली या बाढ़ नियंत्रण का साधन नहीं है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक सुरक्षा का अहम हिस्सा है. चीन के डैम प्रोजेक्ट को काउंटर करने का यह सबसे मजबूत जवाब है. इससे भारत यह संदेश भी दे रहा है कि वह अपनी जल सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करेगा.
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पीएम मोदी ने साफ किया है कि ऐसे मेगा प्रोजेक्ट्स सिर्फ सुरक्षा के लिए ही नहीं बल्कि विकास और ईज ऑफ लिविंग के लिए भी जरूरी हैं. जब बिजली, पानी और बाढ़ नियंत्रण जैसी समस्याओं का समाधान होगा, तो लोगों का जीवन आसान होगा और कारोबार भी तेजी से बढ़ेगा. यही कारण है कि उन्होंने राज्यों और केंद्र दोनों स्तरों पर समय-समय पर इसकी समीक्षा करने और हर अड़चन को तुरंत दूर करने की अपील की.
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