Advertisement
trendingPhotos2955980
Hindi NewsPhotosजहां खत्म हुई सांसें, वहां नहीं मिला सुकून! तीन बार दफनाई गई इस रानी की कहानी जानकर दहल उठेगा दिल
photoDetails1hindi

जहां खत्म हुई सांसें, वहां नहीं मिला सुकून! तीन बार दफनाई गई इस रानी की कहानी जानकर दहल उठेगा दिल

Taj Mahal Story Mumtaz Three Burial: मुगल इतिहास में कई ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में लोग जानना काफी पसंद करते हैं. कुछ लोगों को मुगल के युद्ध और इतिहास के बारे में जानने में बेहद रुचि रहती है. पर बहुत से लोग इस बात से अंजान हैं कि मुगल के इतिहास में एक ऐसी रानी भी थीं जिन्हें तीन बार दफनाया गया था. 

 

मुगल इतिहास

1/5
मुगल इतिहास

मुगल इतिहास का नाम आते ही लोगों के जेहन में एक प्रेम कहानी काफी जल्दी आती है जो है शाहजहां और मुमताज की. लोग शाहजहां और मुमताज महल की प्रेम कहानी को बेहद पसंद करते हैं. ये मुगल इतिहास की सबसे मशहूर प्रेम कहानियों में से एक है पर बहुत ही कम लोगों को पता है कि मुमताज को तीन बार दफनाया गया था. 

 

मुमताज महल

2/5
मुमताज महल

मुमताज महल का असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था और वो शाहजहां की 13वीं पत्नी थीं. बहुत से इतिहासकारों के अनुसार शाहजहां ने कई शादियां की लेकिन मुमताज से उनका प्यार सबसे सच्चा और गहरा था. शाहजहां अपने शासन कार्यों के साथ-साथ मुमताज के साथ ज्यादा समय बिताते थे और मुमताज भी राज्य कार्यों में उनकी मदद करती थीं. साल 1631 में मुमताज महल अपने 14वें बच्चे को जन्म देते समय गंभीर रूप से बीमार हो गईं. करीब 30 घंटे की दर्द से गुजरने के बाद 17 जून 1631 को उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली थी.

 

ताजमहल

3/5
ताजमहल

अपनी अंतिम सांस लेने से पहले मुमताज ने शाहजहां से दो वादे लिए थे. उनका पहला उन्होंने कहा था कि वो किसी और महिला से संतान नहीं पैदा करेंगे और दूसरा वादा था की उनकी याद में एक सुंदर बाग और मकबरा बनवाएंगे ताकि लोग उनके प्रेम को सदियों तक याद रखें. शाहजहां ने मुमताज से किए गए दोनों वादे निभाए और उनकी याद में ताजमहल बनवाया.

 

तीन बार दफनाई गईं

4/5
तीन बार दफनाई गईं

मुमताज महल की मृत्यु के बाद उन्हें पहली बार मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में दफनाया गया था, जहां शाहजहां मुगल सेना के अभियान पर थे. उन्हें वहां नदी किनारे एक सुंदर बगीचे में अस्थायी रूप से दफनाया गया था. कुछ महीनों बाद शाहजहां आगरा में उन्हें यमुना नदी के किनारे आगरा किले के पास फिर से दफनाया.  लेकिन शाहजहां का मन अब भी अशांत था वो मुमताज के लिए ऐसा मकबरा बनाना चाहते थे जो हमेशा उनके प्रेम की पहचान बन कर रह जाए.

 

रौजा-ए-मुनव्वरा

5/5
रौजा-ए-मुनव्वरा

कुछ महीनों के बाद शाहजहां ने ईरानी वास्तुकार मुकम्मत खां जहांगीर को जिम्मेदारी दी और यमुना किनारे विशाल परिसर की नींव रखी जिसे उस समय रौजा-ए-मुनव्वरा कहा गया जिसे बाद में ताजमहल के नाम से जाना जाने लगा. मुमताज का पार्थिव शरीर ताजमहल के मुख्य गुंबद के नीचे दफनाया गया था. बाद में शाहजहां की मृत्यु के बाद उन्हें भी मुमताज की कब्र के पास ही दफनाया गया.

ट्रेन्डिंग फोटोज़