Nuclear War: रूस-यूक्रेन समेत मिडिल ईस्ट कई मुल्कों इस वक्त जंग जारी है. वहीं, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए कायरना आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में भी तनाव बढ़ गया है. लेकिन इन सब के बीच आज हम उन जीवों के बारे में बताएंगे,जिन्हें परमाणु युद्ध के दौरान भी नुकसान नहीं होगा. ये जीव बहुत मजबूत हैं. खास बात यह है कि ये जीव भुखमरी जैसे हालात में भी जिंदा रह सकते हैं. तो चलिए इसके बारे में जानते हैं...
किचन में छिपने वाले कॉकरोच, जिसे हम कीटनाशक छिड़क मार देते हैं, वो भी बम से बचने की क्षमता रखते हैं. हालांकि, इनमें से सभी नहीं है. लेकिन ज़्यादातर कॉकरोच मध्य रात में विकिरण ( Radiation ) से बच सकते हैं. जबकि 20 फीसदी कॉकरोच उच्च परमाणु-बम स्तर विकिरण (10,000 रेड्स) से बचने की क्षमता रखते हैं. दरअसल, हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने की जगह से सिर्फ़ 1000 फ़ीट की दूरी पर कॉकरोच बिल्कुल ठीक और स्वस्थ पाए गए थे. एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि वे बिना खाना या पानी के एक महीने तक जीवित रह सकते हैं साथ ही बिना सिर (सिर कटे होने पर ) के भी 2 सप्ताह तक जिंदा रह सकते हैं.
हालांकि, बिच्छू कितनी विकिरण ( Radiation ) को सहन कर सकते हैं, इस पर ठोस स्टडी नहीं किया गया है, लेकिन यह अनुमान लगाया गया है कि वे बाकी प्राणियों की तुलना में परमाणु हमलों से बेहतर तरीके से बच सकते हैं. वे पहले से ही बहुत हाईलेवल की UV विकिरण को झेल सकते हैं और कुछ अंधेरे में भी चमकते हैं. एक और मजेदार तथ्य यह है कि उन्हें बर्फ में पूरी तरह से जमाया जा सकता है और फिर 'वापस जिंदा' किया जा सकता है.
गर्मियों में बहुत छोटी और परेशान करने वाली फल मक्खियों के लिए विकिरण बहुत फायदेमंद होता है. वे 64,000 रेड्स तक जीवित रह सकते हैं. फल मक्खियां 30-दिन के जीवन चक्र के बावजूद, अगर कोई परमाणु बम होता तो वे संभवतः पूरे 30 दिन जिंदा रहते हैं.
इसी तरह से परजीवी ततैयों का यह ग्रुप जीवित सबसे कठोर जीवों में से एक है. ततैयों इंसानों की तुलना में 300 गुना ज़्यादा विकिरण सहन कर सकते हैं. वे चौंका देने वाले 180,000 रेड्स (हिरोशिमा बम केवल 10,000 रेड्स का था) का सामना कर सकते हैं. एक और मज़ेदार तथ्य यह है कि कीटविज्ञानियों ने हाल ही में पता लगाया है कि ततैयों के ग्रुप को विस्फोटकता और हानिकारक पदार्थों को 'सूंघने' और पहचानने के लिए ट्रेंड किया जा सकता है.
पानी के भालू या मॉस भालू के रूप में भी जाना जाने वाला यह प्यारा सा यह जीव सबसे लोकप्रिय और अच्छी तरह से स्टडी किए गए एक्सट्रीमोफाइल्स में से एक है. एक्सट्रीमोफाइल्स ऐसे जीव हैं जो PAH, पानी, तापमान और हवा की कमी जैसी बहुत ही स्थितियों में जिंदा रह सकता है. टार्डिग्रेड्स को स्पेस के वेक्यूम में भेजा गया है और वे पूरी तरह से ठीक होकर वापस आ गया है. इस जीव को कुचला जा सकता है, भूना जा सकता है और यहां तक कि उन्हें मार भी दिया जा सकता है और वे 10 साल से ज़्यादा वक्त तक मृत रह सकते हैं और फिर उन्हें वापस जिंदा किया जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, ये जीव बहुत ज़्यादा विकिरण से बच पाने में सक्षम हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि टार्डिग्रेड्स को दूसरे ग्रहों पर भेजा जा सकता है.
बहुत सामान्य दिखने वाली छोटी मछलियां स्पेस में भेजी जाने वाली एकमात्र मछलियां हैं. वे समुद्र के सबसे गंदे, सबसे अधिक रासायनिक रूप से प्रदूषित पानी में रह सकती हैं. ये मछलियां विकिरण से बच सकती हैं. खास बात यह है कि वे अपने पर्यावरण के अनुकूल होने पर अपने शरीर और जीन की अंदरूनी संरचना को भी ढाल सकती हैं.
डाइनोकोकस रेडिडुरंस अब तक का सबसे ज्यादा विकिरण-प्रतिरोधी जीव है. यह जीव असीमित मात्रा में विकिरण सह सकता है. कई साल पहले जब वैज्ञानिकों ने पाया कि यह जीवाणु विकिरण के कारण होने वाले किसी भी DNA नुकसान की तुरंत मरम्मत कर लेता है. मौजूदा वक्त में भी इस जीव पर कई स्टडी चल रहे हैं, ताकि इस DNA का इस्तेमाल करके मनुष्यों में विकिरण बीमारी और अन्य संबंधित बीमारियों का इलाज किया जा सके. इस दजीव को लेकर एक और मजेदार तथ्य यह कि इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सबसे ज्यादा विकिरण-प्रतिरोधी जीवित जीव के रूप में दर्ज है. अगर बड़े पैमाने पर परमाणु युद्ध होता है तो दुनिया में शायद ऊपर बताए गए सात जीव ही बचे रहेंगे. लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है, क्योंकि इनमें से कुछ जीवों को भोजन की जरूरत होती है.
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