पाकिस्तान में मशहूर पत्थर की रोटी को ‘सांग रोटी’ (Sang Roti) भी कहते हैं, यह बलूचिस्तान के कई इलाकों में लोकप्रिय है. स्थानीय लोगों को पत्थर की रोटी काफी लजीज लगती है. इसकी खासियत है इसका पकाने का तरीका. इसे बनाने के लिए एक चिकने गर्म पत्थर (Heated Stone) का इस्तेमाल होता है, जो इसे क्रिस्पी और स्वादिष्ट बनाता है.
इस रोटी को तैयार करने के लिए सबसे पहले गेहूं का आटा लेते हैं और उसमें पानी मिलाते हैं. चुटकी भर नमक मिलाकर आटा को गूंथ लिया जाता है. फिर इस आटे को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर पतली या मोटी रोटी के आकार में बेला जाता है. इसके बाद, इसे पहले से गर्म किए गए पत्थर पर रखा जाता है.
पत्थर की तपन रोटी को धीरे-धीरे पकाती है, जिससे यह बाहर से क्रिस्पी और अंदर से नरम रहती है. इस रोटी को आमतौर पर दही , चटनी या फिर स्थानीय और सीजनल सब्जियों के साथ खिलाया जाता है.
बलूचिस्तान में कई लोग मजबूरी में जीवन काट रहे हैं और खाने के लिए तिल-तिल मोहताज हैं. ऐसे में उनके पास मॉडर्न किचन नहीं होता. यही वजह है कि उन्हें पत्थर की रोटियां खाने पर मजबूर होना पड़ता है. हालांकि, इसमें न्यूट्रिशियन की कमी नहीं होती क्योंकि इसमें बढ़िया फाइबर होता है. इसमें तेल या घी का इस्तेमाल नहीं होता, जिससे यह स्वास्थ्यवर्धक भी है. इसका अनोखा स्वाद इसे स्थानीय लोगों के बीच पसंदीदा बनाता है.
बलूचिस्तान के लोग इसे अपनी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानते हैं. यह रोटी न केवल भोजन है, बल्कि उनकी सादगी और प्रकृति के साथ तालमेल का प्रतीक भी है. इंटरनेट पर इसके वीडियो अक्सर वायरल होते हैं, जो इसकी लोकप्रियता को दर्शाते हैं. यह रोटी बनाने में किसी जटिल उपकरण की जरूरत नहीं पड़ती.
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