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₹12000 करोड़ की कंपनी, 37 मंजिला मकान...कभी अंबानी से थे अमीर, एक गलती से पाई-पाई को मोहताज, रेमंड के ‘कंप्लीट मैन’ विजयपत सिंघानिया अधूरी कहानी

Raymond Gautam Singhania and his father dispute: जिस शख्स ने 100 साल पहले देसी ब्रांड शुरू कर दुनियाभर में अपना दम दिखाया. घर-घर में अपनी पहचान बनाई, वो खुद अपने घर से बेघर हो गया. 

Raymond's Man Rise and Fall Story

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 Raymond's Man Rise and Fall Story

Raymond's Man Rise and Fall Story: ‘द कंप्लीट मैन’ से लेकर ‘फील्स लाइक हैवन’ ये स्लोगन और लाइनें आपने कई बार सुनी और पढ़ी होगी. जिस कपड़े के बिना  शादियां अधूरी रहती थी, जब तक दूल्हे को शादी में रेमेंड का सूट न मिले, फंक्शन पूरा नहीं होता था, जहां सूट का मतलब होता था रेमंड, उसकी शुरुआत करने वाले शख्स को अपनी एक गलती की ऐसी सजा मिली कि उसे अब सबकुछ छोड़कर किराए के मकान में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा.  

 

किसने की रेमंड की शुरुआत

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 किसने की रेमंड की शुरुआत

 

जिस शख्स ने 100 साल पहले देसी ब्रांड शुरू कर दुनियाभर में अपना दम दिखाया. घर-घर में अपनी पहचान बनाई, वो खुद अपने घर से बेघर हो गया. रेमंड के मालिक को अपने 34 मंजिला जेके हाउस से बेघर होकर किराए के मकान में रहने को मजबूर होना पड़ा. आज किस्सा उस शख्स का, जिसने रेमंड को बुलंदियों पर पहुंचाया, लेकिन अपनी एक गलती से अपना सबकुछ हार बैठे. ये कहानी है द रेमेंड मैन विजयपत सिंघानिया (Vijaypat Singhania) की,... 

​कंबल बेचने वाली कंपनी से हुई रेमेंड्स की शुरुआत

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 ​कंबल बेचने वाली कंपनी से हुई रेमेंड्स की शुरुआत

 

राजस्थान से पलायन कर कानपुर शिफ्ट हुए सिंघानिया परिवार ने कारोबार का गुर पहले से था. साल 1900 में महाराष्ट्र के ठाणे में एक वुलन मिल  जहां कंबल बनाया जाता था. इसी वाडिया मिल ने सेना के जवानों के लिए यूनिफॉर्म तैयार करने का काम होता था. साल 1925 में मुंबई के एक कारोबारी ने इस मिल को खरीदा, लेकिन कुछ साल बाद ही साल 1940 में कैलाशपत सिंघानिया ने उसे खरीद लिया.  इस वाडिया मिल का नाम बदलकर उन्होंने  रेमंड मिल रखा और यहीं से रेमंड शूटिंग की शुरुआत हुई.   

12000 करोड़ की कंपनी

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 12000 करोड़ की कंपनी

 

रेमंड की शुरुआत करने के बाद उन्होंने  फैब्रिक पर फोकस किया और सस्ते कपड़े बनाने शुरू किए. साल 1958 में मुंबई में रेमंड का पहला शोरूम खुला. काम तल पड़ा था. रेमंड का नाम बच्चे-बच्चे की जुंबा पर आ गया था. देशभर में रेमंड के शोरूम खुलने लगे. साल 1986 में सिंघानिया ने फैब्रिक बिजनेस के साथ-साथ परफ्यूम ब्रांड पार्क एवेन्यू लॉन्च किया. कंपनी की वैल्यूएशन 12000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. .

बेटे को सौंप दी पूरी कंपनी

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 बेटे को सौंप दी पूरी कंपनी

 

विजयपत सिंघानिया ने रेमंड्स को नई ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया. देश के साथ-साथ विदेशों तक में कारोबार फैल चुका था. उन्होंने साल 2015 में  रेमंड्स के अपने सारे शेयर अपने बेटे गौतम सिंघानिया को सौंप दिए, जो उनकी सबसे बड़ी गलती थी. उस वक्त इन शेयरों की कीमत 1000 करोड़ रुपये थी. उन्होंने अपनी 12000 करोड़ की कंपनी भी बेटे को सौंप दी.  अपना सबकुछ बेटे को सौंपकर वो आराम करना चाहते थे, लेकिन ये उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई. 

बेटे के साथ विवाद

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 बेटे के साथ विवाद

 

विजयपत सिंघानिया अपना सबकुछ बेटे गौतम सिंघानिया को सौंपकर निश्चित हो गए. लेकिन इसके बाद विवाद बढ़ने लगा. बाप-बेटे का रिश्ता बिगड़ने लगा. एक फ्लैट को लेकर दोनों के बीच इतना विवाद हुआ कि बेटे ने अपने पिता को घर से बेघर कर दिया.  जिस शख्स के पास कभी अंबानी से अधिक दौलत और एंटीलिया से बड़ा घर था अब वो अपने ही घर से बेघर होने के लिए मजबूर था.  

क्यों हुआ सिंघानिया परिवार में विवाद

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 क्यों हुआ सिंघानिया परिवार में विवाद

 

​विजयपत सिंघानिया और उनके बेटे गौतम सिंघानिया एक फ्लैट को लेकर विवाद शुरू हुआ.  विजयपत सिंघानिया उस फ्लैट को बेचना चाहते थे, लेकिन गौतम उसे बेचना नहीं चाहते थे. फ्लैट को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि दोनों के रिश्ते खराब होने लगा.  गौतम ने विजयपत सिंघानिया को दरकिनार करना शुरू कर दिया.  

किराए के घर में रहने के मजबूत

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 किराए के घर में रहने के मजबूत

 

पिता और बेटे के बीच का विवाद इतना बढ़ा कि विजयपत सिंघानिया, जिन्होंने मुंबई के पॉश इलाके में आलीशान घर जेके हाउस बनाया, उन्हें उसे छोड़ना पड़ा.  बेटे ने उन्हें उस घर से बाहर निकालकर किराए के घर में रहने को मजबूर कर दिया.  गौतम सिंघानिया ने पिता से सब ठीन लिया. बेटे ने कार और ड्राइवर की सुविधा भी छीन ली. 12000 करोड़ की कंपनी का मालिक जो कभी हवाई जहाज उड़ाते थे, वो पैदल चलने को मजबूर हो गए. इतना ही नहीं नाम के साथ चेयरमैन-एमेरिटस तक लिखने का अधिकार छीन लिया. 

बेटे को सब सौंपकर की सबसे बड़ी गलती

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 बेटे को सब सौंपकर की सबसे बड़ी गलती

 

बिजनेस टुडे को दिए इंटरव्यू में खुद विजयपत सिंघानिया ने माना कि बेटे को सारी संपत्ति, सारा बिजनेस सौंपकर उन्होंने सबसे बड़ी गलती. हालात ये है कि अपने ही घर से निकाले जाने के बाद वो दक्षिणी मुंबई की ग्रैंड पराडी सोसायटी में किराए के घर में रहने को मजबूर है.उन्होंने कहा कि उनका बेटा उन्हें सड़क पर देखकर बहुत खुश होता. विजयपत सिंघानिया ने अपने बेटे को गुस्सैल, लालची और घमंडी इंसान बताया.  

अंबानी से बड़ा घर

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 अंबानी से बड़ा घर

 

​विजयपत सिंघानिया कभी मुकेश अंबानी से काफी अमीर थे. मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया से भी ऊंचे घर में रहा करते थे. मुंबई के मालाबार हिल में 37 मंजिला जेके हाउस में उनका ठिकाना था, लेकिन बेटे ने सब छीन लिया. हालात ऐसे बना दिए कि उन्हें अपने ही घर में रहने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है.  

पिता को निकाला, पत्नी से विवाद

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 पिता को निकाला, पत्नी से विवाद

 

विजयपत सिंघानिया के एकलौते बेटे गौतम सिंघानिया का सिर्फ पिता से विवाद नहीं है, बल्कि उनकी पत्नी नवाज मोदी के साथ भी उनका विवाद चल रहा है. नवाज मोदी ने पति पर मारपीट करने का आरेप लगाया, जिसके बाद दोनों का तलाक हो रहा है.  

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