आजकल सेहत के नाम पर बाजार में दर्जनों तरह के कुकिंग ऑयल उपलब्ध हैं. टीवी विज्ञापनों और सोशल मीडिया पर चल रहे फूड ट्रेंड्स के चक्कर में लोग यह भूल जाते हैं कि जो तेल वे इस्तेमाल कर रहे हैं, वह शरीर के लिए वाकई कितना सेफ है.
बाजार में बिकने वाले ज्यादातर रिफाइंड ऑयल ज्यादा प्रोसेस किए जाते हैं, जिससे इनमें से नेचुरल पोषण खत्म हो जाता है. रसायनों और हाई-टेम्परेचर प्रोसेसिंग के चलते यह तेल शरीर में टॉक्सिन्स जमा करता है, जो लिवर को डिटॉक्स करने की क्षमता को धीमा कर देता है.
कैनोला को अक्सर हेल्दी बताया जाता है, लेकिन यह जेनेटिकली मॉडिफाइड (GMO) होता है और इसमें ज्यादा मात्रा में ओमेगा-6 फैटी एसिड होता है, जो शरीर में सूजन बढ़ाता है.
सस्ते स्नैक्स और पैक्ड फूड में आमतौर पर पाम ऑयल का इस्तेमाल होता है. यह सैचुरेटेड फैट से भरपूर होता है, जो लंबे समय में फैटी लिवर और किडनी के काम में रुकावट डाल सकता है.
सोया ऑयल में ओमेगा-6 फैटी एसिड की अधिकता होती है, जो शरीर में इंफ्लेमेशन (सूजन) को बढ़ाता है. लगातार उपयोग से लिवर में फैट जमा होना शुरू हो जाता है.
यह तेल अक्सर मिलावट के लिए इस्तेमाल होता है और इसमें मौजूद गॉसिपोल (Gossypol) नामक तत्व शरीर में टॉक्सिक प्रभाव डालता है, जिससे किडनी और लिवर का काम प्रभावित होता है.
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