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हर मुसलमान पर रोजा फर्ज लेकिन इन 2 दिन में रोजे रखना हराम, जहन्‍नुम में भी नहीं मिलती है जगह!

Eid 2025: रमजान का पाक महीना चल रहा है और मुसलमान रोजाना रोजे रखकर अहम फर्ज अदा कर रहे हैं. इस्‍लाम में रोजा रखने को 5 फर्ज में शामिल किया गया है लेकिन साल में 2 मौके ऐसे होते हैं, जब रोजा रखने की सख्‍त मनाही की गई है.

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Ramadan 2025: इस्लाम धर्म में पांच प्रमुख स्तंभों का जिक्र किया गया है, जिसका पालन करने के लिए हर मुसलमान को कहा गया है. ये 5 स्‍तंभ हैं - कलमा, नमाज, जकात, हज और रोजा. रमजान के महीने में तो मुसलमान लोग रोजा रखते ही हैं इसके अलावा भी साल के बाकी दिनों में रोजा रखते हैं. यह अल्‍लाह की इबादत करने और उन्‍हें शुक्रिया अदा करने का अहम जरिया होता है. लेकिन साल में 2 दिन ऐसे हैं जब रोजा या उपवास रखने की सख्‍त मनाही की गई है.

पैगंबर मोहम्मद ने किया है मना

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पैगंबर मोहम्मद ने किया है मना

इस्लाम में रोजा रखने की शुरुआत पैगंबर मोहम्मद के समय से मानी जाती है. पैगंबर मोहम्‍मद ने भी रमजान के पाक महीने में रोजे रखे थे. इसके बाद शव्‍वाल के महीने की शुरुआत ईद मनाकर की जाती है. ईद के बाद भी 6 रोजे रखे जाते हैं. इस्लामिक मान्यता के अनुसार रमजान के अलावा भी नफिल रोजा रखना बहुत ही सवाब है. लेकिन साल के 2 दिन ऐसे हैं, जब रोजा रखने के लिए खुद पैगंबर मोहम्‍मद ने मना किया है, इसका जिक्र हदीस में भी है.

ईद पर नहीं रख सकते रोजा

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ईद पर नहीं रख सकते रोजा

पूरे साल में 2 दिन ऐसे होते हैं, जब रोजा रखने की मनाही होती है. कहा जाता है कि पैगंबर मोहम्मद ने मुसलमानों को इन दो दिनों में रोजा रखने से मना किया है. ये दो दिन है अजहा और फित्र (फितर). साल के इन दो दिनों में रोजा रखने की मनाही है. वहीं बाकी दिनों में रोजा रखने की इजाजत है.

 

अजहा और फितर में रोजा रखना क्यों हराम

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अजहा और फितर में रोजा रखना क्यों हराम

ईद उल अजहा और ईद उल फितर के दिन रोजा रखना हराम माना गया है. दरअसल, साल में 2 बार पड़ने वाले ईद के पर्व को जश्‍न और भाईचारे का पर्व माना जाता है. इस‍ दिन मुसलमान कई तरह के पकवान खाते और खिलाते हैं. इसलिए ईद के जश्‍न के दिन रोजा नहीं रखना चाहिए. उत्सव के दिनों में उपवास या रोजा रखना हराम माना जाता है. इन ईद को बकरीद और मीठी ईद कहते हैं.

ईद पर रोजा हराम

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ईद पर रोजा हराम

चूंकि रमजान में रोजा या उपवास रखने का उद्देश्य अल्लाह के करीब आना और आत्म-नियंत्रण हासिल करना है. वहीं ईद जश्न और भाईचारे का प्रतीक है. यह रोजा रखने वालों के लिए इनाम की तरह है और इस दिन दावतें की जाती हैं इसलिए ईद के दिन रोजा रखना हराम होता है.

(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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