S-400 Vs S-500 Missile Defence Systems: ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए थे. जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भी जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और पंजाब के सरहद से सटे शहरों पर मिसाइल और ड्रोन से हमले करने की कोशिश की थी, लेकिन भारत की एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम इन हवाई खतरों को बेअसर कर दिया. इस एयर डिफेंस सिस्टम ने मिसाइलों और ड्रोन को सफलतापूर्वक रोक दिया. लेकिन इसका अब एक एडवांस्ड वर्जन आया है, जिसका नाम S-500 है. ऐसे में, चलिए S-500 के बारे में जानते हैं. लेकिन इससे पहले एक नजर एस-400 पर डालते हैं.
S-400 को भारत में 'सुदर्शन चक्र' के नाम से भी जाना जाता है, यह अत्यधिक उन्नत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम है जो एक साथ 100 से ज्यादा टारगेट्स को ट्रैक करने और High Precision के साथ कई खतरों को से आगाह करने में सक्षम है. यह 600 किमी दूर तक के टारगेट्स का पता लगा सकता है और उन्हें 400 किमी तक की दूरी पर रोक सकता है. इसमें विमान, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल शामिल हैं.
भारत ने 2018 में रूस के साथ पांच यूनिट S-400 के लिए 5.43 बिलियन डॉलर का सौदा किया था, जिसमें से पहली यूनिट को 2021 में पंजाब में खास तौर पर पाकिस्तान और चीन से खतरों का मुकाबला करने के लिए तैनात किया गया था. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 के प्रदर्शन की पाकिस्तानी हवाई हमलों को विफल करने में निर्णायक भूमिका निभाई.
S-500 को प्रोमेथियस के नाम से भी जाना जाता है. यह एयर डिफेंस टेक्नोलॉजी में सबसे अहम है, जो आगे के लिए प्रतिनिधित्व करेगा. इस सिस्टम्स को हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहनों, उच्च गति वाले ड्रोन और पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) सैटेलाइट्स जैसे उभरते खतरों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. खास बात यह है कि ये S-400 से काफी अलग है.
एस-500 की कई मुख्य क्षमताएं हैं, जो इस प्रकार है. इसमें बैलिस्टिक मिसाइल, हाइपरसोनिक लक्ष्य, विमान, यूएवी, पृथ्वी की निचली कक्षा के सैटेलाइट और स्पेस वेपंस शामिल हैं. S-500 बैलिस्टिक टारगेट्स के लिए 2,000 किमी तक, हवाई लक्ष्यों के लिए 800 किमी तक पता लगाने में सक्षम हैं. वहीं, एस-500 का Interception रेंज की बात करें तो बैलिस्टिक लक्ष्य 600 किमी तक, हवाई लक्ष्य 400 किमी तक है. जबकि एस-500 में जाम-प्रूफ, मल्टी-फ्रीक्वेंसी रडार लगे हैं, जो स्टील्थ एयरक्राफ्ट और नजदीक-स्पेस टारगेट्स को ट्रैक करने में सक्षम है. साथ ही, ये हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोकने और पृथ्वी की निचली कक्षा में सैटेलाइट को नष्ट करने में भी सक्षम है. यही करण है कि एस-500 की क्षमता इसे रणनीतिक गेम-चेंजर के रूप में भी खास पहचना दिलाती है.
दोनों ही S-400 और S-500 एयर डिफेंस सिस्टम्स को विमान, मिसाइलों और ड्रोन समेत हवाई खतरों से देशों की रक्षा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. एस-500, एस-400 सिस्टम्स एक उन्नत तकनीक का बेहतरीन नमूना है, जो है बेहतर रेंज, सटीकता और मल्टी लेयर्ड सिक्योरिटी मुहैया करता है. जबकि भारत का S-400 Formidable Multi-Role Air Defence System बना हुआ है. वहीं, S-500 न्यू स्टैंडर्ड सेट करता है. S-400 600 किलोमीटर दूर टारगेट का पता लगा सकता है और 400 किलोमीटर दूर तक के खतरों से निपट सकता है, जबकि S-500 बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए 600 किलोमीटर और हवाई लक्ष्यों के लिए 800 किलोमीटर तक की सीमा तक पहुंच सकता है. प्रोमेथियस ऊंचाई पर मार करने (200 किमी बनाम 30 किमी) और प्रतिक्रिया समय (3-4 सेकंड बनाम 9-10 सेकंड) में भी एस-400 से आगे है, हालांकि एस-400 एक साथ ज्यादा टारगेट्स को ट्रैक करने में बढ़त रखता है.
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