Saffron Crop Price: किसान इस देश के अन्नदाता हैं और यह जरूरी है उनकी आय लगातार बढ़ती रहे. हालांकि अलग-अलग राज्यों में किसान की फसलें भी अलग होती हैं लेकिन देश का एक ऐसा राज्य है जहां के किसान एक ऐसी फसल उगाते हैं जो एक किलो के बदले उन्हें तीन लाख रुपये तक का दाम दे जाती है और वे मालामाल हो जाते हैं.
भारत के किसानों की आय को लेकर हमेशा डिबेट रहती है कि उनके लिए क्या बेहतर हो सकता है. इन सबके बीच कुछ ऐसे भी किसान हैं जो लीक से हटकर या परंपरा से इतर खेती करके अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं. इन्हीं में से कुछ किसान जम्मू कश्मीर के हैं जो कई बार मालामाल हो जाते हैं. असल में जम्मू-कश्मीर के वे किसान जो केसर की खेती करते हैं, उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है. इसका कारण यह है कि पिछले काफी समय से केसर के दामों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है.
कुछ समय से तो केसर के एक किलो का दाम तीन लाख रुपये हैं. इस फसल को वहां 'लाल सोना' के नाम से जाना जाता है. पिछले सालों में केसर की खेती वाले किसान काफी नुकसान उठा रहे थे लेकिन पिछले दो तीन सालों से मुनाफे में जबरदस्त उछाल सामने आया है. इसका मुख्य कारण बताया गया है कि करीब तीन-चार साल पहले में जम्मू-कश्मीर के कृषि विभाग ने इंडिया इंटरनेशनल कश्मीर सैफ्रान ट्रेडिंग सेटर की शुरुआत की.
इसी के माध्यम से कश्मीर के केसर को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग मिला था. इसके बाद से कश्मीर के केसर की कीमतों ने नई उड़ान पकड़ ली थी. जीआई टैगिंग से फायदा यह हुआ कि किसान अपने केसर को इसी सेंटर पर ही बेच देते हैं. जीआई टैगिंग से ग्लोबल बाजारों में किसी भी उत्पाद को खास महत्व मिलता है जो कि अब कश्मीरी केसर को मिल रहा है. अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देशों से कश्मीरी केसर की भारी मांग आ रही है.
इतना ही नहीं कश्मीरी केसर दुनिया का इकलौता जीआई टैग वाला केसर है जिसके दम पर इसके ऑथेंटिक होने का भरोसा वैश्विक खरीदारों को मिल रहा है. इन्हीं कारणों के चलते केसर के दामों में उछाल देखने को मिला है. केसर की खेती अगस्त के महीने में होती है और अक्टूबर के अंतिम हफ्ते या फिर नवंबर में फूल लगने शुरू हो जाते हैं. अक्टूबर-नवंबर के महीने में केसर के फूल को जब तोड़ा जाता है तो इसके बाद इसे प्रोसेसिंग के माध्यम से इस्तेमाल के लायक बनाया जाता है.
केसर का इस्तेमाल दुनियाभर के लोग खाने के साथ पूजा पाठ में भी किया जाता है. इसलिए इसके दामों में काफी ज्यादा बढ़त देखने को मिलती है. इसकी पैदावार भी बेहद कम है और डिमांड बहुत ज्यादा है, इसलिए भी केसर इतना कीमती है. वैसे तो केसर की खेती कहीं भी की जा सकती है. लेकिन इसकी खेती के लिए जो वातावरण और मिट्टी चाहिए वो कश्मीर के कुछ हिस्सों को छोड़ कर भारत में कहीं नहीं मिलती है.
कश्मीर के खास इलाकों में केसर की खेती इसलिए होती है, क्योंकि इन इलाकों में एक खास तरह की लाल मिट्टी पाई जाती है, जो केसर के लिए सबसे सही है. यहां का मौसम भी इसके अनुकूल होता है. केसर को जम्मू-कश्मीर में लाल सोना कहा जाता है. हालांकि कश्मीर केसर के लिए सबसे प्रसिद्ध है, लेकिन भारत के अन्य कुछ हिस्सों में भी प्रयोग के तौर पर केसर की खेती की जा रही है. जैसे कि गुजरात में कुछ किसान केसर की खेती कर रहे हैं. लेकिन वहां उतनी सफलता नहीं मिली है.
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