ऐसे में शनि जयंती एक विशेष अवसर बन जाता है, जब सही श्रद्धा और विधि से पूजा की जाए तो जीवन की दिशा ही बदल सकती है. लेकिन इस दिन कुछ गलतियां भूलकर भी नहीं करनी चाहिए.
शनि जयंती के दिन मांस, मदिरा और अन्य तामसिक आहार ग्रहण करना अशुभ माना जाता है. इस दिन केवल सात्विक और शुद्ध शाकाहारी भोजन ही करें.
शनि देव को सरसों के तेल का दीपक अर्पित करना शुभ होता है, लेकिन गंदा या बासी तेल चढ़ाना वर्जित है. शुद्ध मन और नेक नीयत से साफ सरसों के तेल का दीप जलाएं और दान करें.
गरीबों, जरूरतमंदों और पशु-पक्षियों के साथ कठोरता से व्यवहार करना शनिदेव को अप्रसन्न कर सकता है. इस दिन सेवा, दया और सम्मान का भाव रखें. जितना हो सके मदद करें.
पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करें और उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. शनि देव की प्रतिमा के समक्ष काली उड़द, काला तिल, सरसों का तेल, काले वस्त्र या काला छाता दान करें.
"ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें. किसी शनि मंदिर में जाकर शांति और श्रद्धा के साथ प्रार्थना करें.
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