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Photos: शिवाजी महाराज ने मुगलों से कुल कितने किले जीते थे? 15 साल की उम्र में ही लहरा दिया था मराठा परचम

Shivaji Maharaj Forts: पुरंदर की संधि के तहत 1665 में शिवाजी को 23 किले मुगलों को सौंपने पड़े. यह संधि आमेर के राजा जय सिंह और शिवाजी महाराज के बीच हुई थी. हालांकि इसके बदले मुगलों ने शिवाजी को स्वतंत्र शासक की मान्यता दी जिससे मराठा साम्राज्य की स्वाधीनता सुरक्षित रही.

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मराठा ऑइकन छत्रपति शिवाजी महाराज के किस्से देश दुनिया में मशहूर रहे हैं कि कैसे उन्होंने मुगलों के सामने परचम लहराया. शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को महाराष्ट्र के शिवनेरी किले में हुआ था. उनके पिता शाहजी भोंसले पुणे के जागीरदार और बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह के दरबार में उच्च पद पर थे. उनकी माता जीजाबाई ने ही उन्हें बचपन से युद्ध और प्रशासन की शिक्षा दी. यही शिक्षा शिवाजी के संघर्ष और नेतृत्व का आधार बनी.

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शिवाजी ने मात्र 15 साल की उम्र में तोरणा किले पर विजय हासिल कर मराठा साम्राज्य की नींव रखी. इसके बाद उनका सैन्य अभियान लगातार चलता रहा. 1646 में रायगढ़ किले पर भी उन्होंने जीत हासिल की. इसी युद्ध के बाद शिवाजी की पहचान एक सक्षम योद्धा और नेता के रूप में बनी. आगे चलकर उन्होंने रायगढ़ को अपनी राजधानी बना लिया.

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शिवाजी ने मराठा साम्राज्य को मजबूत करने के लिए कई अहम किले जीते. इनमें राजगढ़, प्रतापगढ़, लोहगढ़, सिंहगढ़, जुन्नार, पुरंदर, सिंधुदुर्ग और उनके जन्मस्थल शिवनेरी किले समेत दर्जनों किले शामिल हैं. तोरणा पहला किला था जिसे उन्होंने जीता था. उनकी हर जीत मराठा शक्ति के विस्तार की ओर एक और कदम थी. 1665 में पुरंदर की संधि के तहत शिवाजी को 23 किले मुगलों को सौंपने पड़े. यह संधि आमेर के राजा जय सिंह और शिवाजी महाराज के बीच हुई थी.

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इसके बदले मुगलों ने शिवाजी को स्वतंत्र शासक की मान्यता दी जिससे मराठा साम्राज्य की स्वाधीनता सुरक्षित रही. बाद में जब औरंगजेब ने शिवाजी को आगरा बुलाकर धोखे से कैद किया तब वे वहां से बेटे संभाजी के साथ भाग निकले. आगरा से लौटते ही उन्होंने एक-एक कर वे सभी 23 किले वापस हासिल किए जो संधि में गए थे. इनमें सिंहगढ़ और लोहगढ़ जैसे किले शामिल थे. सिंहगढ़ की लड़ाई में वीर तानाजी शहीद हुए जिस पर शिवाजी ने कहा था गढ़ तो आ गया पर सिंह चला गया. 

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इन लगातार विजयों के बाद 6 जून 1674 को रायगढ़ किले में शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ और उन्हें ‘छत्रपति’ की उपाधि दी गई. उन्होंने मराठा झंडा न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि तमिलनाडु के जिंजी तक फहराया. साल्हेर, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग और खंडेरी जैसे किले भी मराठा परचम के गवाह बने. Photos: File

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