Cruel historical queens: इतिहास के कई क्रूर और निर्दयी राजाओं की कहानियां पढ़ने और सुनने को मिलती हैं. लेकिन कई ऐसी रानियां भी थीं जिनकी क्रूरता की कहानी पढ़ने रोंगटे खड़े जाते हैं. ऐसी ही एक रानी थीं ईस्ट अफ्रीका में स्थित मेडागास्कर की रानी रानावलोना. उनके शासनकाल में क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गई थीं. चलिए जानते हैं विस्तार से...
)
हिस्ट्री एक्स्ट्रा के मुताबिक, रानी रानावलोना ने मेडागास्कर पर 1828-61 तक शासन किया. जब वह अफ्रीकी देश की रानी बनीं, तब यूरोप के लोग दुनिया भर में अपने औपनिवेशिक साम्राज्य फैलाने में लगे थे. तब रानी रानावलोना मेडागास्कर को ब्रिटिश और फ्रांसीसी नियंत्रण से मुक्त रखने में कामयाबी पाई.
)
रानी रानावलोना के शासनकाल में क्रूरता की सारी हदें पार हो गईं. उन्होंने विरोधियों और आम नागरिकों पर बेरहमी से जुल्म ढाए. इतिहासकारों का कहना है कि उनकी निर्दयता के कारण मेडागास्कर की आधी जनसंख्या खत्म हो गई. ईसाई धर्म मानने वालों पर तो उन्होंने विशेष रूप से कहर ढाया और राज्य से उनका सफाया कर दिया. उनकी कठोर नीतियों से लोग हमेशा खौफ में जीते थे और जान बचाने के लिए भागने पर मजबूर हो जाते थे.
)
रानी की क्रूरता का एक बड़ा उदाहरण तब सामने आया जब उन्होंने दरबारियों और परिजनों के लिए भैंसों के शिकार का आयोजन किया. इसके लिए रास्ता बनाने का आदेश दिया गया. हजारों लोगों को दिन-रात काम पर लगा दिया गया और भूख-प्यास, थकान और बीमारी से लगभग 10,000 मजदूरों ने दम तोड़ दिया. रानी ने सिर्फ एक सड़क के लिए इतने लोगों की जान ले ली, लेकिन उन्हें इसका कोई अफसोस नहीं था.
)
रानी रानावलोना हमेशा तख्तापलट और साजिश के डर में जीती थीं. इसी कारण उन्होंने ‘टैंजेना परीक्षण’ लागू किया. इस खौफनाक प्रक्रिया में लोगों को जहरीला अखरोट और मुर्गे की खाल के टुकड़े खाने पड़ते थे. अगर उल्टी में खाल के टुकड़े मिल जाते तो दोषमुक्त माना जाता, वरना मौत तय होती. इस क्रूर परीक्षण के जरिए हजारों लोगों को मौत की सजा दी गई. यह कानून उनके डर और निर्दयता की मिसाल बन गया.
)
रानी ने सत्ता के लिए अपने करीबियों को भी नहीं बख्शा. उन्होंने बहन और पति के भतीजे को भूखा रखकर मौत के घाट उतार दिया. यहां तक कि अपने प्रेमी को दूसरी महिला के साथ देखकर उसे खुद ही मार डाला और शव को भाले पर टांग दिया. उनके शासनकाल में विश्वास और रिश्तों की कोई कीमत नहीं थी. हर कोई डर के साए में जी रहा था.
)
1788 में किसान परिवार में जन्मी रानावलोना का जीवन पूरी तरह किस्मत का खेल था. उनके पिता ने एक साजिश की जानकारी राजा को दी, जिसके बाद उन्हें गोद लिया गया और भावी राजा रादामा से शादी करा दी गई. रादामा की कई पत्नियों में रानावलोना भी थीं, लेकिन संतान न होने के कारण उत्तराधिकारी किसी और को चुना गया. सत्ता की भूख में उन्होंने उसे रास्ते से हटाया और खुद को रानी घोषित कर दिया. किस्मत ने किसान की बेटी को गद्दी दी, लेकिन इतिहास ने उन्हें ‘मौत की सौदागर’ के रूप में याद किया.
ट्रेन्डिंग फोटोज़