Viral News : ममियों ने हमेशा वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और जिज्ञासु लोगों को आकर्षित किया है. सिर्फ उनके डरावने संरक्षण के कारण नहीं, बल्कि उन रहस्यों के लिए भी जो वे अपने अंदर छिपाए होती हैं. मिस्र के प्राचीन मकबरों से लेकर साइबेरिया की बर्फीली पहाड़ियों तक ममियां पाई गई हैं. इनके अवशेष हमें यह जानने का अनमोल मौका देते हैं कि पुराने समय में लोग और जानवर कैसे रहते थे, क्या खाते थे, कौन सी बीमारियां झेलते थे और कई बार तो यह भी पता चलता है कि उनकी मृत्यु कैसे हुई. हर खोज समय में जमी हुई एक झलक जैसी होती है, जैसे प्रकृति की अपनी टाइम कैप्सूल.
Viral News : 2018 में मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी (MSU) के कुक-सीवर्स हॉल में मरम्मत के दौरान एक अजीबोगरीब छोटी सी ममी मिली, जो जाने कितने समय से छुपी हुई थी. इस रहस्यमय अवशेष को “Capacabra” नाम दिया गया, जो प्रसिद्ध मिथकीय प्राणी चुपाकाबरा और यूनिवर्सिटी के कैंपस आर्कियोलॉजी प्रोग्राम (CAP) का मिलाजुला नाम है. यह सिर्फ एक ममी नहीं थी, बल्कि इसके हाथ लगभग इंसानों जैसे थे, पांच उंगलियों और नाखूनों के साथ. पहले तो इस खोज से सब चौंक गए, लेकिन बाद में यह CAP की अनौपचारिक "मास्कॉट" बन गई, जब वैज्ञानिकों ने इसके रहस्यमय अस्तित्व की जांच शुरू की.
कैपाकाबरा का सबसे हैरान कर देने वाला हिस्सा इसके हाथ हैं, जो चौंकाने वाली हद तक इंसानी हाथों से मिलते-जुलते हैं, पांच स्पष्ट उंगलियों और नाखूनों के साथ. फॉरेंसिक एंथ्रोपोलॉजी की पीएचडी छात्रा जरीएल कार्टालेस ने इसके रूप को "लगभग मानव जैसा" बताया. आकार और बनावट में यह जीव एक छोटे बिल्ली जैसे दिखता है, लेकिन इसके अंग कुछ और ही इशारा करते हैं. इसके शरीर पर बेहद पतली परत में ऊतक बचे हैं, कान और नाक भी सुरक्षित हैं, जिससे इसकी अजीब बनावट वैज्ञानिकों को अब तक कोई ठोस निष्कर्ष निकालने नहीं दे रही है. इसका वास्तविक जीव-प्रजाति वर्गीकरण अब तक तय नहीं हो पाया है.
फिलहाल वैज्ञानिकों के अनुसार, सबसे संभावित अनुमान यह है कि यह ममी रैकून की हो सकती है. एक्स-रे द्वारा अन्य जानवरों के कंकालों से तुलना करने पर इसकी खोपड़ी और थूथन की बनावट काफी हद तक रैकून से मेल खा रही है. हालांकि इसकी पुष्टि तब तक नहीं हो सकती जब तक इसके दांतों की बनावट को ज्ञात रैकून के दांतों से न मिलाया जाए. दिक्कत यह है कि टेक्स्टबुक उदाहरण अधूरे हैं. कार्टालेस का कहना है कि वह “लगभग 75% निश्चित” हैं कि यह रैकून ही है, लेकिन जब तक दंत परीक्षण पूरा नहीं होता, वे पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकतीं. तब तक यह रहस्य बना रहेगा.
कार्टालेस का मानना है कि यह जीव इमारत के वेंटिलेशन डक्ट से अंदर घुसा होगा और वहीं फंसकर मर गया. इस इमारत का वातावरण, सर्दियों में सूखा और गर्म, और गर्मियों की नमी से बचा हुआ, प्राकृतिक ममीकरण के लिए अनुकूल था. चूंकि यह इमारत 1889 में बनी थी, इसलिए ममी की उम्र इससे पुरानी नहीं हो सकती, लेकिन इसकी सही उम्र अभी निर्धारित नहीं की जा सकी है.
यह शरीर के संरक्षण की वह प्रक्रिया है जो वातावरण की मदद से होती है, न कि पारंपरिक मानवीय तकनीकों से. कृत्रिम ममीकरण में जहां शरीर को विशेष रसायनों से संरक्षित कर सुखाया जाता है, वहीं प्राकृतिक ममीकरण तब होता है जब शरीर अत्यधिक शुष्क गर्मी, कड़ाके की ठंड या ऑक्सीजन की कमी वाले माहौल में चला जाता है, जिससे जीवाणुओं की सक्रियता कम हो जाती है और शरीर सड़ने से बच जाता है. सूखा मौसम, जमी हुई ठंड या बंद स्थानों में बनी ऐसी परिस्थितियां स्किन, ऊतक और कभी-कभी आंतरिक अंगों तक को भी सदीयों तक संरक्षित रख सकती हैं. इसके फेमस उदाहरणों में इंका सभ्यता की बर्फ में मिली ममियां और यूरोप की दलदली मिट्टी में पाए गए शव शामिल हैं.
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