बारा हवाई अड्डा दुनिया का एकमात्र हवाई अड्डा है, जहां समुद्र तट रनवे है. ज्वार आने पर रनवे पानी में डूब जाता है, इसलिए उड़ानें ज्वार के समय पर निर्भर हैं. छोटे विमान और कोई ईंधन सुविधा न होने के बावजूद, सख्त नियम इसे सुरक्षित रखते हैं.
9,383 फीट की ऊंचाई पर बना यह हवाई अड्डा एवरेस्ट जाने वालों का प्रवेश द्वार है. इसका 1,729 फीट का छोटा रनवे 12 डिग्री ढलान वाला है. एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ खाई है, इसलिए केवल प्रशिक्षित पायलट ही यहां उड़ान भर सकते हैं.
7,096 फीट के छोटे रनवे और पहाड़ों से घिरा यह हवाई अड्डा खतरनाक है. लैंडिंग से पहले 45 डिग्री का तीखा मोड़ और तेज हवाएं इसे चुनौतीपूर्ण बनाती हैं. 2008 के हादसे के बाद सुरक्षा बढ़ाई गई, लेकिन यह केवल दिन में संचालित होता है.
यह हवाई अड्डा महो बीच के ऊपर से नीची उड़ान के लिए मशहूर है. 7,546 फीट का रनवे बड़े विमानों के लिए छोटा है. जेट ब्लास्ट से पर्यटकों को सावधान रहना पड़ता है, लेकिन कोई लैंडिंग हादसा नहीं हुआ.
कृत्रिम द्वीप पर बना कंसाई हवाई अड्डा इंजीनियरिंग का चमत्कार है. द्वीप के धंसने की समस्या के बावजूद, पानी निकालकर और संरचना को समायोजित कर इसे सुरक्षित रखा जाता है. यह 24 घंटे चलता है.
फ्रांसीसी आल्प्स में 1,762 फीट का रनवे 18.6% ढलान वाला है. यह ढलान और बर्फीले मौसम पायलटों के लिए चुनौती है. केवल प्रशिक्षित पायलट ही यहां उड़ान भर सकते हैं, और रात में लैंडिंग नहीं होती.
10,682 फीट की ऊंचाई पर लेह का हवाई अड्डा दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई अड्डों में है. हिमालय के बीच संकरी घाटियों और तेज हवाओं के कारण केवल सुबह उड़ानें होती हैं. विशेष प्रशिक्षण जरूरी है.
7,364 फीट की ऊंचाई पर भूटान का यह हवाई अड्डा 18,000 फीट के पहाड़ों से घिरा है. तीखे मोड़ और केवल दिन में उड़ानें इसे खास बनाती हैं. सख्त नियमों से कोई हादसा नहीं हुआ.
2017 में खुला यह हवाई अड्डा चट्टान पर बना है. 6,070 फीट का रनवे और तेज हवाएं इसे खतरनाक बनाती हैं. विशेष प्रशिक्षण के बाद ही पायलट यहां उड़ान भर सकते हैं.
1,300 फीट का रनवे दुनिया का सबसे छोटा कमर्शियल रनवे है. केवल छोटे विमान और प्रशिक्षित पायलट ही यहां उतर सकते हैं. सख्त नियमों से यह सुरक्षित है.
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