अगर आप ट्रेन में सफर करते समय सोचते हैं कि एक चादर या तकिया ही तो है, घर ले जाऊं तो क्या फर्क पड़ेगा?, तो सावधान हो जाइए. भारतीय रेलवे इस ‘छोटी सी चोरी’ को बिल्कुल हल्के में नहीं लेता. चादर, कंबल या तकिया उठाकर घर ले जाना आपको सीधे जेल की हवा खिला सकता है. यह न सिर्फ अनैतिक है, बल्कि कानूनी तौर पर भी एक गंभीर अपराध है.
ट्रेन के एसी कोच में सफर करने वाले यात्रियों को रेलवे द्वारा चादर, तकिया और कंबल जैसे लिनेन आइटम्स दिए जाते हैं ताकि वे आराम से यात्रा कर सकें. लेकिन ये सभी सामान केवल यात्रा के दौरान इस्तेमाल के लिए होते हैं. यात्रा पूरी होते ही इन सामानों को लौटाना अनिवार्य होता है. इन्हें घर ले जाना 'रेलवे संपत्ति की चोरी' माना जाता है.
भारतीय रेलवे अधिनियम 1966 की धारा 3 के तहत रेलवे की संपत्ति की चोरी या नुकसान पहुंचाने पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है. पहली बार दोषी पाए जाने पर एक साल तक की जेल या ₹1,000 तक का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है. वहीं, बार-बार अपराध करने पर या गंभीर मामले में पांच साल तक की जेल और भारी जुर्माना लगाया जा सकता है.
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के अधिकारी समय-समय पर ट्रेन में यात्रियों की जांच करते हैं. अगर किसी के पास चादर, तकिया या कंबल बिना वजह मिलता है और वह लौटाता नहीं है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
आपको भले ही लगे कि एक चादर से क्या फर्क पड़ता है, लेकिन जब हजारों यात्री ऐसा करने लगते हैं, तो इसका असर रेलवे की जेब पर सीधा पड़ता है. सिर्फ पश्चिम रेलवे ज़ोन में 2017-18 के दौरान लाखों की संख्या में लिनेन आइटम्स चोरी हुए थे, जिससे रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ.
यात्रा के अंत में सारी वस्तुएं अटेंडेंट को लौटा दें. अगर कोई वस्तु गलती से भी साथ चली जाए तो उसे वापस कर दें. इससे न सिर्फ आप एक अच्छे नागरिक कहलाएंगे, बल्कि खुद को कानूनी पचड़े से भी बचा सकेंगे.
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