Advertisement
trendingPhotos2729785
photoDetails1hindi

किसी निर्दोष की हत्या करने को लेकर इस्लाम में क्या लिखा है?

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में दहशतगर्दों ने कायराना हमला किया. इस हमले में 26 बेगुनाह मासूम टूरिस्ट्स की मौत हो गई. सिक्योरिटी एजेंसी ने पहलगाम हमले में शामिल पांच दहशतगर्दों की पहचान कर ली है. इनमें तीन पाकिस्तानी नागरिक और दो जम्मू-कश्मीर के रहने वाले बताए जा रहे हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस्लाम में बेगुनाह मासूमों की हत्या करने को लेकर इस्लाम में क्या लिखा है?

 

मुसलमान शख्स के लिए फर्ज

1/7
मुसलमान शख्स के लिए फर्ज

किसी भी मजहब में बेगुनाह लोगों की हत्या करना गुनाह माना गया है. इसी तरह से इस्लाम में बेगुनाह लोगों की हत्या करना बहुत ही संगीन गुनाह माना गया है. आइए पहले इस्लाम में इंसानों के लिए कुछ बुनायदी बातें जान लेतें हैं, जो करना हर मुसलमान शख्स के लिए फर्ज ( कर्तव्य ) है.

बुनियादी बातें

2/7
बुनियादी बातें

इस सिलसिले में इस्लाम ने कुछ बुनियादी बातें बताईं हैं. इस्लाम इंसान होने की वजह से इंसानों के लिए कुछ हुकूक मुतय्यन किया है यानी अधिकार निर्धारित किया है.

 

कर्तव्य

3/7
कर्तव्य

दूसरे अल्फाज में इसका मलतब यह है कि हर इंसान चाहे वह इस मुल्क का हो या फिर दूसरे मुल्क का, चाहे वह आस्तिक हो या नास्तिक. वह किसी जंगल में रहता हो या किसी रेगिस्तान में जो भी हो इंसान होने के नाते उसके कुछ बुनियादी इंसानी हुकूक हैं, जिन्हें इस दुनिया में हर एक मुसलमान को कबूल करना और दरहकीकत (वास्तव) में इन जिम्मेदारियों को पूरा करना उनका फर्ज (कर्तव्य ) होगा.

 

पाक किताब कुरान/कुरआन

4/7
पाक किताब कुरान/कुरआन

पाक किताब कुरान/कुरआन ( Quraan ) में कहा गया है, इंसानों के लिए सबसे पहला और सबसे अहम बुनियादी हुकूक जीने का अधिकार ( हक ) और इंसानी जंदगी ( मानव जीवन ) का सम्मान करना है. अगर कोई किसी इंसान को बिना किसी वजह के जैसे कि परेशान, उपद्रव फैलाना, इंसानों का कत्ल करता है, वह मानो पूरी इंसानियत का कत्ल कर देता है.

इंसानियत की शिक्षा

5/7
इंसानियत की शिक्षा

इस्लाम अमन (शांति), इंसाफ और इंसानियत की शिक्षा देता है.  पैगंबर मुहम्मद साहब (स.अ.) ने भी हमेशा बेगुनाहों की हिफाजत और इंसाफ की बात की. इसलिए, इस्लाम में किसी भी बेगुनाह, मजलूम की हत्या न सिर्फ गुनाह है, बल्कि अल्लाह (ईश्वर) के हुक्मों का नजरअंदाज (अवहेलना) भी है. इसके लिए इस्लाम में कड़ी सज़ा बताई गई है.

सबसे बड़ा गुनाह

6/7
सबसे बड़ा गुनाह

वहीं, हदीसों में बेगुनाह के कत्ल को 'सबसे बड़े गुनाहों' में से एक बताया है. पैगंबर मुहम्मद साहब (स.अ.) ने हदीश में बताया है कि कल कयामत के दिन सबसे पहले खून का ही हिसाब लिया जाएगा.

 

इंसाफ, हमदर्दी और इंसानियत

7/7
इंसाफ, हमदर्दी और इंसानियत

इंसाफ, हमदर्दी और इंसानियत इस्लाम की बुनियादी चीजें ( मूल भावना ) हैं.  इसलिए बेगुनाह के कत्ल को न सिर्फ एक जुर्म, बल्कि खुदा (ईश्वर) के खिलाफ बगावत के तौर पर देखा जाता है.

 

ट्रेन्डिंग फोटोज़

;