Gravity on Earth: धरती का बैलेंस सही बनाए रखने के लिए Gravity का सही ढंग से काम करते रहना बहुत ही जरूरी होता है. इसमें होने वाला महज 1% बदलाव भी पृथ्वी के संतुलन को बुरी तरह बिगाड़ सकता है. अगर धरती की ग्रैविटी में महज 1 प्रतिशत का बदलाव, चाहे घटे या बढ़ें, आ जाए तो इसके बड़े और विनाशकारी परिणाम होंगे जो जीवन और ग्रह दोनों को ही प्रभावित करेंगे.
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ग्रैविटी या गुरुत्वाकर्षण बल वह ताकत है जो हर उस चीज को एक-दूसरे की ओर खींचता है जिसमें द्रव्यमान(Mass)होता है. धरती के लिए यह बहुत ही जरूरी है क्योंकि यहीं बल धरती पर चीजों को टिकाए रखता है. इसके अलावा इसी की वजह से ग्रह सूरज के चारों ओर घूमते हैं और ब्रह्मांड में नए ग्रहों और तारों का निर्माण होता है.
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अगर Gravitational Force में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी हो जाए तो हर चीज भारी हो जाएगी. आपके शरीर का वजन भी 1% बढ़ जाएगा. हालांकि शुरूआत में यह महसूस नहीं होगा लेकिन धीरे-धारे आपके दिल और मांसपेशियों पर बोझ बढ़ जाएगा. दिल को शरीर में खून पंप करने के लिए डबल मेहनत करनी पड़ेगी जिससे दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाएगा.
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1 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने से सभी इमारतों, पुल और ऊंची संरचनाओं पर नीचे की ओर दबाव बढ़ेगा(Downward Pressure). ये बदलाव छोटा लगता है लेकिन पुराना या कमजोर संरचनाएं अचानक से ढह सकती हैं.
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अगर आप ऐसा सोचते हैं तो यह सही है. 1 प्रतिशत Gravity बढ़ने से हवाई जहाज को उड़ने के लिए ज्यादा पावर की जरूरत होगी जिससे ईंधन की खपत बढ़ेगी. इसके अलावा धरती के अंदर टेक्टोनिक प्लेटों पर दबाव बढ़ जाएगा जिससे भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोटों की तीव्रता बढ़ जाएगी.
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Gravitational Force में 1% की कमी से हर चीज हल्की हो जाएगी. इसका वायुमंडल पर असर सबसे बड़ा खतरा हो सकता है. इसके कम होने पर धरती का वाताववरण पतला होना शुरू हो जाएगा.
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नहीं, 1 प्रतिशत की कमी से वातावरण अंतरिक्ष में नहीं जाएगा लेकिन धरती अपने वायुमंडल और पानी के अणुओं(Water Molecules)को पकड़कर रखने की क्षमता कमजोर हो जाएगी. सबसे पहले हल्की गैसें(Hydrogen and Helium)अंतरिक्ष में लीक होंगी जिससे वायुमंडल की संरचना में बदलाव आएगा.
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1% घटने से समुद्री ज्वार भाटा(Tides)प्रभावित होंगी क्योंकि ज्वार मुख्य रूप से चंद्रमा और सूर्य की ग्रैविटी पर निर्भर करते हैं. ज्वार का पैटर्न बदल जाएगा जिससे तटीय क्षेत्रों में असीमित बाढ़ आ सकती है. साथ ही लोग भी हल्का महसूस करेंगे लेकिन संतुलन पर इसका अजीब सा असर पडे़गा.
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अगर गुरुत्वाकर्षण कम हुआ तो पृथ्वी धीरे-धीरे सूर्य से दूर खिसक सकती है जिससे हम ठंडे हो जाएंगे. वहीं, अगर यह बढ़ा तो धरती सूर्य के करीब जा सकती है जिससे तापमान बहुत बढ़ जाएगा. 1 प्रतिशत का भी बदलाव ग्रह की स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है. Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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