पहले अंडा आया या मुर्गी? यह सवाल आपने कई बार सुना होगा. वैज्ञानिकों ने लंबे समय तक रिसर्च और स्टडीज करके इसका जवाब खोजने की कोशिश की. अब उन्हें इसका हल मिल गया है . चलिए जानते हैं विस्तार से...
धरती पर पहले अंडा आया या मुर्गी? यह सवाल बचपन से ही चर्चा का विषय रहा है. कुछ लोग कहते हैं कि पहले मुर्गी आई होगी, जबकि कुछ का मानना है कि अंडा पहले आया होगा. लेकिन वैज्ञानिकों ने अब इसका सही जवाब ढूंढ लिया है, चलिए जानते हैं धरती पर पहले अंडा आया था या मुर्गी?
दरअसल, दुनिया भर के सभी अंडों को मिलाकर देखें तो मुर्गी से पहले अंडा आया था. अंडे एक अरब साल से भी ज्यादा पहले विकसित हुए थे, जबकि मुर्गियां करीब 10,000 साल से धरती पर मौजूद हैं.
रॉयल बेल्जियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल साइंसेज के जीवाश्म वैज्ञानिक कोएन स्टीन के मुताबिक, एमनियोटिक अंडे (जिनमें कठोर खोल होता है) कशेरुक जीवों के विकास में एक बड़ा कदम थे. इन अंडों ने जीवों को पानी से दूर जाकर सूखी जमीन पर प्रजनन की सुविधा दी. पहले जानवरों को अंडे देने के लिए जलाशयों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन कठोर खोल वाले अंडों ने उन्हें आजादी दी.
नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन नाम के जर्नल में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है, जिसमें वैज्ञानिकों की एक टीम ने 51 प्राचीन जीवों के जीवाश्म और 29 आज भी जिंदा रहने वाली प्रजातियों को चुना. उन्होंने इन जीवों को दो समूहों में बांटा. पहला समूह ओविपेरस था. जो ऐसे जीव होते हैं जो कठोर या नरम खोल वाले अंडे देते हैं. दूसरा समूह विविपेरस था, जो जीवित बच्चे पैदा करते हैं.
अध्ययन में यह पता चला कि मुर्गियों के पुराने सरीसृप जैसे पूर्वज जीवित बच्चों को जन्म देने वाले यानी विविपेरस थे. इसका मतलब यह है कि उनके पूर्वज सीधे अंडे देने वाले नहीं थे, बल्कि बच्चे सीधे जन्म देते थे. यह खोज हमें मुर्गी के विकास और उनके अंडे देने की प्रक्रिया को समझने में मदद करती है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती पर अंडा पहले आया, लेकिन मुर्गी का अंडा नहीं। मुर्गी के अंडे के निर्माण में एक खास प्रोटीन OC-17 की जरूरत होती है, जो सिर्फ मुर्गी के अंडाशय में बनता है. इसलिए वैज्ञानिक मानते हैं कि मुर्गी पहले आई, फिर मुर्गी का अंडा.
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