Akbar: तीसरे मुगल बादशाह अकबर को हमेशा से ही उसके निष्पक्ष शासन के लिए जाना जाता है जबकि सच्चाई इससे कहीं अलग है. धार्मिक सद्भाव के लिए मशहूर अकबर का एक पक्ष ऐसा भी है जिसके बारे में आज भी बहुत कम लोग जानते हैं. क्या आपको पता है की अकबर को एक राजकुमारी के हाथों अपनी जान की भीख मांगनी पड़ी थी. आपने फिल्मों में अकबर की एक अलग छवि देखी लेकिन आज हम आपको इस बादशाह के अलग रुप के बारे में बताएंगे.
हमने बचपन से जो भी पढ़ा उसमें हमने केवल अकबर की वीरता के बारे में ही पढ़ा और सुना, लेकिन क्या आप जानते हैं की एक राजपूत राजकुमारी के आगे अकबर को भी जान की भीख मांगनी पड़ी थी? इस कहानी की प्रमाणिकता पर आज भी बड़ी बहस छिड़ सकती है लेकिन आज भी यह कहानी लोगों के बीच लोककथाओं और चित्रों के माध्यम से मौजूद है.
अकबर से शासन काल में बड़े स्तर पर मीना बाजार का आयोजन कराया जाता था. यह एक ऐसा बाजार था जिसे सिर्फ महिलाओं के लिए लगाया जाता था और किले की चारदीवारी के अंदर ही लगता था. इस मेले का आनंद लेने कई बड़े राजशाही परिवारों की महिलाएं भी दूर-दूर आती थीं. लेकिन कुछ इतिहासकार इसपर अपने अलग विचार रखते हैं.
बहुत सारे इतिहासकारों और इतिहास की जानकारी रखने वालों का मानना है की मीना बाजार या नूरस मेले जैसे उत्सव वास्तव में ऐसे आयोजन का हिस्सा थे जहां अकबर अपने हरम के लिए सुंदर युवतियों और महिलाओं को अपने हरम में ले जाने के लिए संपर्क कर सके. आइए पहले जानते हैं की इस मेले को लेकर इतिहास में क्या लिखा गया है.
एक अंग्रेज यात्री जो 1615 में जहाँगीर के शासनकाल के दौरान भारत आया था, लिखते हैं की कैसे बादशाह सिर्फ महिलाओं के लिए मेले में आते थे. इसी मेले में किरण देवी राठौर पर अकबर की नजर पड़ी जो की बीकानेर की राजकुमारी थीं और बहुत ही खूबसूरत थीं जिनकी शादी पृथ्वीराज राठौर से हुई थी. उनकी सुंदरता से मोहित होकर अकबर की उनके साथ रहने की इच्छा हुई.
जूनागढ़ किले में प्रदर्शित जयपुर संग्रहालय की एक पेंटिंग में किरण देवी को अकबर के खिलाफ खंजर पकड़े हुए दिखाया गया है जिसमें अकबर जमीन पर लेट कर दया की भीख मांगता दिखाई दे रहा है. जब किरण देवी ने अकबर का प्रस्ताव ठुकराया और पीछे हटीं तो रक्षकों ने उनका रास्ता रोका और फिर ने किरण देवी से अकबर ने अपनी रानी बनने का आग्रह किया.
राजकुमारी के बार-बार मना करने पर भी अकबर ने उनकी ओर हाथ बढ़ाया तो इसपर नाराज होकर राजकुमारी ने अपना खंजर निकाला और अकबर के गले पर रख दिया. ऐसा होते ही अकबर के रक्षक अपने बादशाह को जमीन पर गिरा देख और दया की भीख मांगते देख सहम गए और डर से एक जगह खड़े हो गए.
किरण देवी ने अकबर की छाती पर पैर रखा और कहा, "मैं मेवाड़ की राजकुमारी हूं. मैं दुश्मन को मार दूंगी, या मर जाऊंगी, लेकिन कभी आत्मसमर्पण नहीं करूंगी.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़