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दुनिया की सबसे खतरनाक रेल यात्रा! ना बैठने की सीट, ना ट्रेन में छत और ना पीने का पानी...बिना रूके दौड़ती है 704KM, नहीं लगती टिकट

World Most Dangerous Train Journey: आज जिस ट्रेन सफर की बात हम करने जा रहे हैं वो इन सबसे बिल्कुल अलग है. इस ट्रेन में न तो बैठने के लिए सीट है और न ही ट्रेन की छत है.  दुनिया के सबसे डरावने रेल सफर में से एक इस यात्रा में 18 से 20 घंटे का वक्त लगता है, लेकिन बिना रुके दौड़ने वाली इस ट्रेन में पीने का पानी तक नहीं.  

Most Dangerous Train

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 Most Dangerous Train

Most Dangerous Train: विंडो वाली सीट हो और हाथ में गरमा-गरम चाय की प्याली...फर्राटे से दौड़ती ट्रेन और पीछे छूटते नजारे...अगर रेल सफर ऐसा हो तो इससे आरामदायक जर्नी कुछ और नहीं हो सकती है, लेकिन आज जिस ट्रेन सफर की बात हम करने जा रहे हैं वो इन सबसे बिल्कुल अलग है. इस ट्रेन में न तो बैठने के लिए सीट है और न ही ट्रेन की छत है.  दुनिया के सबसे डरावने रेल सफर में से एक इस यात्रा में 18 से 20 घंटे का वक्त लगता है, लेकिन बिना रुके दौड़ने वाली इस ट्रेन में पीने का पानी तक नहीं.  

दुनिया की सबसे खतरनाक रेल यात्रा

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 दुनिया की सबसे खतरनाक रेल यात्रा

 

इस ट्रेन में सफर को बेहद खतरनाक समझा जाता है. लोग जान को जोखिम में डालकर इस ट्रेन से सफर करते हैं. 50 डिग्री टेम्प्रेचर का टॉर्चर सहते हुए बिना छत वाली इस ट्रेन से सफर करने के लिए मारामारी होती है.  ये ट्रेन अफ्रीकी देश मॉरीतानिया में चलती है, जिसे नाम मिला है ट्रेन टू डेसर्ट ( Train Du Desert) 

20 घंटे बिना रूके सफर

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 20 घंटे बिना रूके सफर

 

सहारा रेगिस्तान से होकर गुजरने वाली यह ट्रेन 704 किलोमीटर की दूरी 20 घंटे में तय करती है. 200 डिब्बों वाली इस ट्रेन को खींचने के लिए 3 से 4 इंजन लगते हैं.  दरअसल ये ट्रेन एक मालगाड़ी है, जिसमें एक डिब्बा पैसेंजर्स के लिए लगाया जाता है. हालांकि काफी लोग कच्चे लोगे के ऊपर बैठकर मुश्किल भरा सफर करते हैं.  

ना सीट हो, ना छत और फिर भी लोग करते हैं सफर

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  ना सीट हो, ना छत और फिर भी लोग करते हैं सफर

 

मॉरीतानिया की राजधानी नुआकशॉट में रहने वाले लोगों के लिए यह ट्रेन सफर का एकलौता जरिया है. ट्रेन से सफर करने वालों को 50 डिग्री की झुलसाती गर्मी में, बिना किसी स्टॉप के लगातार 18 से 20 घंटे का सफर करना पड़ता है. खास बात ये कि इस ट्रेन में न पीने का पानी मिलता है और न ही टॉयलेट.  दरअसल इस ट्रेन की शुरुआत पश्चिम अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान से लौह खनिज को ढोने के लिए किया गया था. 704 किमोमीटर लंबा सफर तय कर यह ट्रेन लोहे की खदानों से लोह अयस्क को बंदरगाह तक पहुंचाती है.  

फ्री में सफर

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 फ्री में सफर

 

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस इलाके में रहने वाले हजारों लोगों के पास यातायात के लिए कोई दूसरा जरिया नहीं है, इसलिए वो सफर के लिए केवल रेल पर निर्भर हैं.  ऐसे में लोग मालगाड़ी के डिब्बों में चढ़कर सफर करते हैं. उन्हें इस सफर के लिए पैसा भी नहीं खर्च करना पड़ता है फ्री में सफर के लालच में लोग खुली मालगाड़ी में सफर करते हैं.  

200 डिब्बों वाली ट्रेन

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   200 डिब्बों वाली ट्रेन

  इस ट्रेन में 200 से ज्यादा डिब्बे हैं. हर डिब्बे में लगभग 84 टन लौह अयस्क लदा होता है. पूरे सफर के दौरान ट्रेन कहीं नहीं रुकती है. लोग सस्ता और तेज़ सफर के लिए लोह अयस्क के ऊपर बैठकर सफर करते हैं, उन्हें दिन में तेज गर्मी तो रात में हड्डी तक गला देने वाली ठंड के बीच यात्रा करना पड़ता है.  इस ट्रेन में सफर के लिए लोग अपनी जान को जोखिम में डाल लेते हैं. अगर आप रास्ते में किसी मुश्किल में फंस जाते हैं तो कोई मदद नहीं मिलती. न मोबाइल नेटवर्क, न पुलिस, न मेडिकल सुविधा.  सिर्फ मौसम की मार नहीं बल्कि रास्ते में रेत के तूफान, आतंकियों का खतरा बना रहता है.  

 

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