Trending : बहुत से लोग बचपन से ही कुछ न कुछ ऐसा करते आए हैं, जिसे शुभ-अशुभ से जोड़ा जाता है. ऐसे मामलों में लॉजिक समझने के बजाए, लोग कर रहे हैं या पूर्वज करते आए हैं इसलिए करने वाला भाव होता है. मिसाल के लिए काली बिल्ली का सामने आना जैसी कई चीजें किसी न किसी मान्यता का हिस्सा होती हैं. आइए दुनिया के अजीबोगरीब अंधविश्वासों (superstition) के बारे में जानते हैं.
Disclaimer: (यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. ZEE NEWS किसी भी तरह के अंधिविश्वास की पुष्टि या उसका समर्थन नहीं करता है.)
मान्यताएं भले अजीब हों, लेकिन वो किसी क्षेत्र में रचे बसे सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा होती हैं. 4 और 13 से जुड़े अंधविश्वासों के बारे में आपने सुना होगा. जापान में, संख्याएं डरावने अर्थ रख सकती हैं. नंबर 4 का उच्चारण 'शि' होता है, जिसका अर्थ 'मृत्यु' भी होता है. इसलिए जापान में कई इमारतों में चौथी मंजिल या कमरा नंबर 4 नहीं होता है, और चार के सेट में उपहार देने से परहेज किया जाता है. वहीं होटलों और अपार्टमेंट्स में रूम नं 13 और 13वां फ्लोर नहीं होता है.
(सांकेतिक तस्वीर)
जर्मनी में, किसी को जन्मदिन से पहले जन्मदिन की बधाई देना अपशकुन माना जाता है, क्यों? दरअसल बहुत पहले, लोगों का मानना था कि बुरी आत्माएं शुभकामनाएं सुन सकती हैं. ऐसे में वह उन्हें बर्बाद करने की कोशिश करेंगी. यहां तक कि किसी के जन्मदिन पर भी उन्हें सावधान रहना पड़ता है. खासकर टोस्ट बनाते समय और ग्लास टकराते समय लोगों की आंखों में सीधे देखना चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया तो माना जाता है कि आपकी लव लाइफ सात साल के लिए शापित हो जाती है. जर्मनी में ही बहुत पहले, माना जाता था कि ये टोटका, जहर की जांच करने में मददगार हो सकता है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्वीडन में मेनहोल के ढक्कन को भी शुभ-अशुभ से जोड़कर देखा जाता है. स्वीडन की सड़कों पर वॉक करते समय आपको कुछ मेनहोल पर K अक्षर और कुछ पर A अक्षर दिखेगा. K का मतलब प्यार जैसी गुड फीलिंग्स और वाइब्स माना जाता है, वहीं A का मतलब टूटा हुआ प्यार और बेरोजगारी जैसी बुरी चीजों से जोड़ कर देखा जाता है इसलिए लोग A मार्क वाले किसी भी मेनहोल पर पैर रखने से डरते हैं. वो ख्याल रखते हैं कि A वाले मेनहोल से उनका पैर न टकराए. इसके साथ ही स्वीडन में मकड़ी को मारना अशुभ माना जाता है. ऐसा करना मना है. ऐसा कहा जाता है कि मकड़ी को मारने से अगले दिन बारिश होती है.
दक्षिण कोरिया में माना जाता है कि रात में सीटी बजाने से भूत या बुरी आत्माएं आकर्षित होती हैं. इसलिए लोग अंधेरा होने के बाद शोर मचाने खासकर सीटी बजाने से बचते हैं. इसके साथ ही आप किसी भी काम को करते समय किसी का नाम लाल स्याही से न लिखें. वहां लाल रंग कब्रों और मृतकों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रंग है, इसलिए कहा जाता है कि जीवित व्यक्ति का नाम लाल रंग से लिखना उनके लिए दुर्भाग्य या यहां तक कि मृत्यु की शैया तक पहुंचाने वाला माना जाता है.
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भारत में दूध के गिरने से जुड़ी तमाम मान्यताएं हैं. खासकर दूध उबलकर जमीन पर गिरने को आमतौर पर अशुभ माना जाता है, खासकर अगर ऐसा बार-बार हो. वास्तु शास्त्र के अनुसार, दूध चंद्रमा का प्रतीक है और उबलकर गिरने से चंद्र दोष लग सकता है, जिससे मानसिक और आर्थिक परेशानियां हो सकती हैं. हालांकि अगर भगौने में से दूध उबलकर बाहर गिर जाए तो यह भी घर में सुख-शांति, संपत्ति, मान और वैभव के संकेत हैं. ऐसा होने पर आपको परेशान नहीं बल्कि खुश होना चाहिए. लेकिन यदि किसी पात्र में से दूध गिरकर बिखर जाए जो इसे अपशगुन मानते हैं. माना जाता है कि ऐसा होना किसी दुर्घटना का संकेत है.
(सांकेतिक तस्वीर)
कभी भी सीढ़ी के नीचे न चलें. ये अंधविश्वास प्राचीनकाल से मिस्रवासियों के बीच मशहूर रहा है. वे लोग त्रिभुजों को पवित्र मानते थे, दीवार के सहारे खड़ी सीढ़ी त्रिभुज बनाती थी. इसलिए ऐसा मानना था कि इसके बीच से गुजरने से पवित्र आकृति टूट जाती है तो दुर्भाग्य आता है. बहुत पहले, फांसी की सजा पाए लोगों को सीढ़ी पर चढ़ने को कहा जाता था और फिर माना जाता था कि मृत्यु के बाद उनकी आत्माएं उसी सीढ़ी से नीचे उतरती थीं. इसलिए किसी सीढ़ी के नीचे से गुजरने का मतलब था कि आप भूत से टकरा सकते हैं. ऐसे में आपको सीढ़ी के नीचे से न जाने की सलाह दी जाती है.
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जापान में, अगर आप कब्रिस्तान या अंतिम संस्कार स्थल से गुज़रते हैं, तो आपको अपने अंगूठे मुट्ठी में बंद रखने चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि जापानी भाषा में, 'अंगूठे' का मतलब माता-पिता की उंगली से लगाया जाता है. इसलिए वहां अंगूठे बंद रखने से आपके माता-पिता की मृत्यु से रक्षा होती है.
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अमेरिका और कुछ अन्य पश्चिमी देशों में, काली बिल्ली का आपके रास्ते में आना अभी भी दुर्भाग्य का संकेत माना जाता है. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था. प्राचीन मिस्र में के लोग बिल्लियों को प्यार करते थे. यहां तक कि उनकी पूजा भी की जाती थी. हालांकि 13वीं शताब्दी में यह तब बदल गया जब एक पोप ने दावा किया कि बिल्लियां बुरी होती हैं और उन्हें चुड़ैलों से जोड़ा गया. तभी से भारत और अमेरिका जैसे देशों में काली बिल्लियों को डरावनी और अशुभ के रूप में अनुचित प्रतिष्ठा मिली है.
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टचवुड का हिंदी में मतलब लकड़ी छूना. टचवुड के पीछे धारणा है पेड़ों पर आत्माओं का निवास होता है. खुशियों में आत्माओं की नजर ना लगे इसलिए टचवुड बोलकर लकड़ी छूते हैं. टचवुड बोलने के साथ ही लकड़ी का स्पर्श करना शुभ माना जाता है. टच वुड का मकसद बुरी नजर से बचना होता है. मतलब हम चाहते हैं कि हमारी बात को किसी की नजर ना लगे इसलिए लोग टचवुड करते हैं.
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Disclaimer: (यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. ZEE NEWS किसी भी अंधिविश्वास की पुष्टि या उसका समर्थन नहीं करता है)
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