मुंबई: एक तरफ महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra) के पास सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह देने के लिए भी पैसे नहीं है. वहीं दूसरी तरफ सरकार मंत्रियों और अफसरों के लिए  कारें खरीद रही है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार को सिर्फ मंत्रियों और अफसरों की सुविधा की चिंता है, जनता की कोई फिक्र नहीं है.


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महाराष्ट्र के शिक्षा विभाग की तरफ से जारी किए गए इस आदेश में शिक्षा मंत्रि वर्षा गायकवाड़ और अफसरों के लिए छह गाड़ियां खरीदने की बात कही गई है. आदेश में मंत्रियों के लिए चार गाडियां, अफसर के लिए एक गाड़ी और स्टाफ कार के लिए एक गाड़ी खरीदने को कहा गया है, इसमें सबसे महंगी कार शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ की है. सरकार ने इनके लिए इनोवा क्रिस्टा 2.4 ZX (7 STR) गाड़ी खरीदी है. इस गाड़ी की कीमत करीब 22 लाख 83 हजार रुपये है. विपक्ष का आरोप है कि जब सरकार के पास कर्मचारियों की तनख्वाह देने को पैसे नहीं है तो इतनी महंगी गाड़ियां मंत्री के लिये खरीदने की क्या जरूरत है.


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बीजेपी प्रवक्ता राम कदम ने कहा कि सरकार ने कोरोना जैसी महामारी में भी डटकर लोगों की सेवा करने वाले कोरोना वारियर्स के वेतन में कटौती की है. इतना ही नहीं महारष्ट्र की जनता को कोरोना पैकेज तक देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं. लेकिन मंत्रियों के लिए करोड़ो रूपये की गाड़ी लेने के लिये सरकार के पास पैसा ही पैसा है. 


आपको बताते चलें कि कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के राहत और पुनर्वास मंत्री विजय वडेट्टीवार के अपने बयान में कहा था कि सरकारी कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं है. इसलिए सरकार के रेवेन्यू में बड़े पैमाने में कमी हुई है. अगले महीने में वेतन देने के लिए महाराष्ट्र सरकार को कर्जा लेना पड़ेगा. लेकिन अब इस बयान पर सवाल खड़े हो गए हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि सरकार के पास अगर फंड नहीं है तो मंत्रियों के लिए इतनी महंगी गाड़ियां खरीदने की क्या जरूरत है?


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