शाहबानो केस में राजीव गांधी से सुप्रीम फैसला पलटवाने वाले अकबर ने 3 तलाक पर ऐसे मारी थी पलटी
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शाहबानो केस में राजीव गांधी से सुप्रीम फैसला पलटवाने वाले अकबर ने 3 तलाक पर ऐसे मारी थी पलटी

तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं का पक्ष लेने वाले एमजे अकबर उस शाहबानो का पक्ष नहीं ले सके थे, जिसके पक्ष में देश की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था.

शाहबानो केस में राजीव गांधी से सुप्रीम फैसला पलटवाने वाले अकबर ने 3 तलाक पर ऐसे मारी थी पलटी

नई दिल्ली : तीन तलाक पर जब मोदी सरकार ने कानून बनाया था, उस समय केंद्र सरकार में विदेश मंत्री मोबाशर जावेद (एमजे) अकबर ने कहा था, ये विधेयक नौ करोड़ मुस्लिम महिलाओं के दर्द और परेशानियों को समझता है. मुस्लिम महिलाओं की परेशानी समझने का दावा करने वाले
एमजे अकबर उन महिलाओं का दर्द क्यों नहीं समझ सके, जिन्होंने कभी उनके साथ काम किया था और उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए. वह उस शाहबानों का पक्ष भी नहीं ले सके थे, जिसके पक्ष में देश की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था. उन्होंने तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी से कहा था कि वह इस फैसले को संसद के द्वारा पलट दे. और हुआ भी कुछ ऐसा ही.

मीटू के आरोपों में बुरी तरह उलझे एमजे अकबर ने अब अपना इस्तीफा दे दिया है. इस मुद्दे पर पहले ही उनकी काफी किरकिरी हो चुकी है. अब मामला कोर्ट में है. पत्रकारिता के साथ साथ राजनीति में भी एमजे अकबर का लंबा तजुर्बा है. वक्त के साथ उनकी नौकरी तो बदलीं ही पार्टियां भी बदल गईं. कभी कांग्रेस के नजदीक रहे अकबर इस समय बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री थे. लंबी पत्रकारिता की पारी खेलने के बाद वह कांग्रेस से जुड़े थे. एक समय वह राजीव गांधी के बेहद खास थे. उसी समय सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. लेकिन इस फैसले को पलटवाने में एमजे अकबर का बड़ा हाथ था. तब प्रधानमंत्री कार्यालय में निदेशक के पद पर कार्यरत हबीबुल्लाह ने इस बारे में खुलासा किया है.

अपनी सल्तनत खोने वाले अकबर एक जमाने में राजीव गांधी के भी थे बेहद खास

हबीबुल्लाह ने अपने एक लेख में बताया कि जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाया, कई मुस्लिम धर्म गुरु और मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया. सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई. हबीबुल्लाह बताते हैं कि इसी दौरान एक दिन जब उन्होंने पीएम राजीव गांधी के कमरे में प्रवेश किया तो उनके साथ एमजे अकबर भी बैठे थे. उस समय अकबर ने राजीव गांधी से कहा था कि यदि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करती तो पूरे देश में संदेश जाएगा कि प्रधानमंत्री मुस्लिम समुदाय को अपना नहीं मानते. इसके बाद हुआ भी कुछ ऐसा ही सरकार ने ये फैसला संसद के द्वारा बदल दिया.

मंत्री बनते ही बदल गए सुर
कभी शाहबानो केस में मुस्लिम संगठनों का समर्थन करने वाले एमजे अकबर तीन तलाक के मुद्दे पर पूरी तरह से बदले हुए नजर आए. संसद में इस मुद्दे पर बहस के दौरान उन्होंने कहा, इस विधेयक से देश, समुदाय और राष्ट्र को फायदा होगा. इसमें लैंगिक प्रगति को भी बढ़ावा मिलेगा.
अकबर ने कहा कि यह विधेयक नौ करोड़ मुस्लिम महिलाओं के दर्द और परेशानियों को समझता है. इस बिल से उन लोगों को तगड़ा झटका लगेगा जो तलाक के नाम पर महिलाओं को हमेशा दहशत और आतंक के साए में रखना चाहते हैं. कुरान की आयतों को पढ़ते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पवित्र धर्मग्रंथ भी यही कहता है कि मुस्लिम महिलाओं का जो हक है, उन्हें हर हाल में उससे ज्यादा ही मिलना चाहिए, उससे कम कतई नहीं.

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