झारखंड सरकार की नई नियोजन नीति पर सियासी नोक-झोंक! कई भाषाओं के हटने से भड़की सियासत
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झारखंड सरकार की नई नियोजन नीति पर सियासी नोक-झोंक! कई भाषाओं के हटने से भड़की सियासत

झारखंड में हेमंत सरकार ने नियुक्ति नियमावली में बदलाव कर नई नियोजन नीति बनाई है, जिसमें से कई भाषाओं को हटा दिया गया है. जिसके बाद इस मसले पर सियासत तेज है. 

नई स्थानीय नीति असंवैधानिक: रघुवर दास (तस्वीर साभार-@dasraghubar)

Ranchi: झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार ने नियुक्ति नियमावली में बदलाव कर नई नियोजन नीति बनाई है. नई नियोजन नीति से कई भाषाओं को हटा दिया गया है. जिसके बाद से इस मसले पर सियासत तेज है. BJP और AJSU जहां इस मामले को लेकर आंदोलन के मूड में है. वहीं सत्ता पक्ष सरकार के फैसले को सही साबित करने में जुटा हुआ है.

झारखंड में सरकारी नीतियों हमेशा से विवादों में घिरती रही है. इस बार भी यही कुछ हो रहा है. इससे पहले रघुवर सरकार के शासनकाल में बनी नियोजन नीति पर बवाल हुआ था. अब यही हाल हेमंत सरकार की बनायी नियोजन नीति को लेकर देखने को मिल रहा है. हेमंत सरकार ने लोगों को रोजगार देने के लिए नियुक्ति नियमावली में बदलाव कर नई नियोजन नीति को हरी झंडी दे दी है. जिसके तहत मैट्रिक और इंटर के झारखंड से पास हुए अभ्यर्थियों को ही राज्य में नौकरी मिलेगी. इसके अलावा नई नियोजन नीति से कई भाषाओं को भी हटा दिया गया है. अब इसे लेकर राज्य में सियासत चरम पर है. विपक्षी दल इसे अंसवैधानिक फैसला बता रहा है. 

'नई स्थानीय नीति असंवैधानिक'
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास के मुताबिक नई स्थानीय नीति असंवैधानिक है, इससे झारखंड के आदिवासी, मूलवासियों को कोई फायदा नहीं होने वाला है. रघुवर दास के मुताबिक नई नियुक्ति नियमावली में हिंदी की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी. राज्य में हिंदी या अंग्रेजी दो ही भाषा में पढ़ाई होती है और वर्तमान सरकार ने जानबूझ कर नियुक्ति नियमावली से हिंदी को ही बाहर कर दिया है. 

'झारखंड की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रही'
रघुवर दास ने आरोप लगाया की राज्य सरकार झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने का काम कर रही है. रघुवर दास ने कहा की सरकार ने जो संशोधन किया है, उसके मुताबिक 10वीं-12वीं की परीक्षा राज्य से पास करना अनिवार्य है, ऐसे में अगर कोई बाहर से आकर राज्य में मैट्रिक और इंटर करता है, तो वो यहां की नियुक्ति नियमावली के तहत नौकरी कर सकता है. ऐसा फैसला सिर्फ लोगों की आंख में धूल झोंकने का काम है. 

'जरुरत हुई तो कोर्ट जाएगी BJP'
रघुवर दास ने झारखंड सरकार से नई नियुक्ति नियमावली में तुरंत बदलाव करने की मांग की है. उन्होंने कहा की अगर जरूरत पड़ी तो बीजेपी न्याय के लिए अदालत का भी दरवाजा खटखटाएगी.

'हिंदी को छोड़ने का सवाल ही नहीं'
वहीं BJP के हमले के बाद सत्ता पक्ष भी जवाब देने के लिए सामने आया. JMM महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा की झारखंड में हिंदी किसी भी जिले की क्षेत्रीय भाषा नहीं है, बल्कि हिंदी राज्य की प्रथम राजकीय भाषा है, इसलिए इसे छोड़ने के सवाल ही बेमायने है.

सुप्रियो भट्टाचार्य के मुताबिक हिंदी एक सामान्य भाषा है, जिसमें सरकारी कामकाज होता है, इसकी जो परीक्षा ली जाएगी उसका माध्यम हिंदी ही बनेगा, लेकिन हिंदी को आप क्षेत्रीय भाषा नहीं समझ सकते हैं.

'क्षेत्रीय भाषा को ही सरकार ने अडॉप्ट किया'

इससे पहले राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने मामले को लेकर कहा था की झारखंड में नियोजन को लेकर राज्य की क्षेत्रीय भाषा को सरकार ने जोड़ने का काम किया है, इसमें गलत कुछ नहीं है. उन्होंने कहा था की जो यहां की राजभाषा है, उसी को झारखंड सरकार ने अडॉप्ट किया है, बाहर से कोई भाषा नहीं लायी गयी है.

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