सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी इस बात के लिए नाराज हैं कि अधीर रंजन चौधरी सही ढंग से कश्मीर पर पार्टी का पक्ष नहीं रख सके.
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान पर सोनिया गांधी ने सूत्रों के मुताबिक नाराजगी जताई है. सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी इस बात के लिए नाराज हैं कि अधीर रंजन चौधरी सही ढंग से कश्मीर पर पार्टी का पक्ष नहीं रख सके. सूत्रों का यह भी कहना है कि उसके बाद कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने जब कश्मीर मुद्दे पर अपनी बात रखी तो उस पर सोनिया गांधी ने संतोष व्यक्त किया.
लोकसभा में मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पेश किया. चर्चा की शुरुआत करते हुए अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. इस पर कानून बनाने का संसद को पूरा अधिकार है. कांग्रेस के राज में अनुच्छेद 370 पर दो बार संशोधन हुआ. इस बीच कांग्रेस की तरफ से पूछा गया कि क्या जब आप जम्मू-कश्मीर की बात करते हैं तो क्या इसमें पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) भी शामिल है तो इस पर अमित शाह ने कहा कि वह जब भी जम्मू-कश्मीर की बात करते हैं तो उसमें स्वत: ही पीओके भी शामिल होता है. अमित शाह ने पलटवार करते हुए कांग्रेस से पूछा कि क्या वो पीओके को भारत का हिस्सा नहीं मानती? मैं तो इसके लिए जान भी दे सकता हूं. दरअसल कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि क्या आप PoK के बारे में भी सोच रहे हैं तो उस पर अमित शाह ने ये जवाब दिया.
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अधीर रंजन चौधरी ने ये भी कहा कि आपने रातोंरात एक राज्य को दो टुकड़ों में बांट दिया. आप कश्मीर को अंदरूनी मामला कहते हैं. लेकिन एक प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के साथ इस मसले पर शिमला समझौता किया, दूसरे ने लाहौर समझौता किया तो आप कैसे ये कहेंगे कि ये भारत का अंदरूनी मामला है? आपने जम्मू-कश्मीर को कैदखाना बना दिया. पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंद कर दिया गया.
अमित शाह ने कहा कि इन्होंने स्पष्टीकरण मांगा है लेकिन मैं बदले में इनसे स्पष्टीकरण मांगता हूं क्योंकि इन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र में लंबित है. ऐसे में निवेदन है कि कृपया वो रिपीट कर दें कि वो क्या चाहते हैं? इस पर अधीर रंजन ने कहा कि मैं शंका में हूं कि आप कहते हैं कि ये आंतरिक मामला है, 1948 से संयुक्त राष्ट्र की मॉनीटरिंग हो रही है, फिर शिमला और लाहौर समझौता हुआ तो ये कैसे अंदरूनी मामला है. विदेश मंत्री जयशंकर भी बयान देते हैं. मेरी बात को गलत अर्थ में नहीं समझिए, मैं इस पर जानकारी चाहता हूं. इस पर आप ऐसा माहौल नहीं बनाइए कि कांग्रेस पार्टी देश का हित नहीं चाहती है.
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इस पर अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता ने सवाल उठाया है कि जम्मू-कश्मीर पर जो बिल लेकर हम आए हैं वो सदन के अनुसार है कि नहीं. इस पर साफ शब्दों में कहना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है. इसमें कोई विवाद नहीं है. भारत का संविधान और जम्मू-कश्मीर का जो संविधान बना था, उसमें राज्य ने स्वीकार किया था कि वो भारत का हिस्सा है.
उसके बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि क्या आप PoK के बारे में भी सोच रहे हैं तो अमित शाह ने कहा कि जब भी जम्मू-कश्मीर की बात करता हूं तो पीओके इसमें अपने आप शामिल होता है. इस पर विपक्षी सांसदों ने हंगामा करते हुए अमित शाह से कहा कि आप इतना आक्रामक क्यों हो रहे हैं तो उन्होंने कहा कि क्या आप पीओके को भारत का हिस्सा नहीं मानते हो क्या? हम तो पीओके के लिए जान भी दे सकते हैं. PoK और अक्साई चिन भी भारत का अभिन्न हिस्सा है.
मनीष तिवारी
चर्चा में बोलते हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि ये एक संविधानिक त्रासदी है. बिना विधानसभा के राय के धारा 370 को खत्म नहीं कर सकते हैं. ये गलत है. आज आप धारा 370 को खत्म करके क्या संदेश देना चाहते हैं कि धारा 371 को भी समाप्त कर देंगे? ये किस तरह का उदाहरण है.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में बांट तो दिया लेकिन उसके संविधान का क्या होगा? क्या सरकार यहां पर उस संविधान को खारिज करने के लिए भी विधेयक लेकर आएगी? सरकार ने अलग-अलग पहलुओं पर विचार ही नहीं किया है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को जूनागढ़ ने पाक से विलय करने का फैसला लिया था लेकिन उसके खिलाफ जनाक्रोश था. फिर जनशुमारी हुई थी और वो भारत के साथा आ गया. पाक UN में उस मसले को ले गया लेकिन खारिज कर दिया गया. अगर जूनागढ़, हैदराबाद, जम्मू-कश्मीर भारत के अभिन्न अंग है तो वो नेहरू के कारण हैं.
इस पर अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने स्पष्ट नहीं किया है कि वो धारा 370 हटने के खिलाफ में है या साथ में है तो मनीष तिवारी ने कहा कि मैंने कहा था कि बगैर विधानसभा की रायशुमारी के आप ऐसा नहीं कर सकते है. समझता हूं कि आपको जवाब मिल गया होगा.