अनंत चतुर्दशी 2018: जानिए भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
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अनंत चतुर्दशी 2018: जानिए भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु के पूजन का दिन है. आज अनंत सूत्र धारण किया जाता है. यह एक पवित्र धागा होता है, जिसमें चौदह गांठें होती हैं. 

आज का व्रत काफी पुण्यदायी होता है और घर में समृद्धि आती है.

नई दिल्लीः भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु से अनंत फलों की इच्छा रखने वाले लोग उनके अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं. अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जानते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा करता है और जो भी स्त्रियां और पुरुष बाएं हांथ में अनंत सूत्र पहनता है भगवान विष्णु उसके सारे कष्ट दूर करते हैं और सभी परेशानियां दूर करते हैं. वहीं चतुर्थी से शुरू होने वाला गणेश उत्सव भी आज के दिन समाप्त हो जाता है. कई लोग इस दिन घर में भगवान सत्यनारायण की कथा भी कराते हैं. 

चतुर्दशी तिथिः 
23 सितंबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट से 24 सितंबर सुबह 7 बजकर 17 मिनट तक.

अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त
23 सितंबर को सुबह 6 बजकर 8 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक अनंत चतुर्दशी पूजन का शुभ मुहूर्त है, लेकिन अगर आप इस मुहूर्त पर पूजन नहीं कर पाते तो दोपहर को 2 बजकर 47 मिनट से 4 बजकर 35 मिनट तक भी पूजन कर सकते हैं.

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अनंत चतुर्दशी पूजा विधि
सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद मंदिर में भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप को याद करते हुए कलश की स्थापना करें. कलश स्थापित करने के बाद इसके ऊपर अष्ट दल वाला कमल रखें और कुषा चढ़ाएं. भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. भगवान विष्णु के सामने 14 गांठों वाला धागा रखें और उसके साथ भगवान विष्णु की पूजा आरंभ करें. भगवान विष्णु का अभिषेक करें और रोली, चंदन से तिलक करें. तिलक करने के बाद धूप, दीप से भगवान की आरती करें और नैवेद्य अर्पित करें. नैवेद्य अर्पित करते समय 'ॐ अनंताय नमः' मंत्र का जाप करें.
पुष्प हांथ में लें और भगवान विष्णु की कथा सुनें. इसके बाद पूजा में चढ़ाया गया रक्षासूत्र पुरुष और महिलाएं अपने-अपने बाएं हाथ में बांध लें. रक्षा सूत्र बांधते समय भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का ध्यान करें और अंत में ब्रह्मणों को भोजन कराएं. सामर्थ्य अनुरूप दान दें और ब्राह्मणों को विदा करें.

अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्व
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस व्रत के नाम से लक्षित है कि यह अनंत फलदायी है. भगवान सत्यनारायण के समान ही अनंत देव भी भगवान विष्णु का ही एक नाम है. ऐसी मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु का दिन है. इस दिन व्रत करने वाला व्रती यदि विष्‍णु सहस्‍त्रनाम स्‍तोत्रम् का पाठ भी करे, तो उसकी वांछित मनोकामना की पूर्ति जरूर होती है. अनंत का मतलब है, जिसका कोई अंत नहीं. जो हमेशा से है और सदैव रहेगा. अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु के पूजन का दिन है. आज अनंत सूत्र धारण किया जाता है. यह एक पवित्र धागा होता है, जिसमें चौदह गांठें होती हैं. भगवान सत्यनारायण के समान ही अनंत देव भी भगवान विष्णु का ही एक नाम है और इसी कारण अक्‍सर इस दिन सत्यनारायण का व्रत और कथा का आयोजन भी किया जाता है. आज का व्रत काफी पुण्यदायी होता है और घर में समृद्धि आती है.

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