Mahakumbh 2025: महाकुंभ के लिए कैदियों में भी गजब का उत्साह, इस जेल में विभिन्न डिजाइन वाले कालीन बनाने में जुटे बंदी; श्रद्धालु कर सकेंगे खरीद
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Mahakumbh 2025: महाकुंभ के लिए कैदियों में भी गजब का उत्साह, इस जेल में विभिन्न डिजाइन वाले कालीन बनाने में जुटे बंदी; श्रद्धालु कर सकेंगे खरीद

Carpets for Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ के लिए आम लोग ही नहीं जेलों में बंद कैदियों में भी गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है. यूपी की एक जेल में बंद कैदी कुंभ के लिए विभिन्न डिजाइन वाले कालीन बनाने में जुटे हैं. 

 

Mahakumbh 2025: महाकुंभ के लिए कैदियों में भी गजब का उत्साह, इस जेल में विभिन्न डिजाइन वाले कालीन बनाने में जुटे बंदी; श्रद्धालु कर सकेंगे खरीद

Carpets being made in Bhadohi Jail for Prayagraj Mahakumbh: इस बार प्रयागराज महाकुंभ के दौरान एक अनोखा दृश्य देखने को मिलेगा, जब कालीन नगरी भदोही के जिला जेल के बंदी अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए महाकुंभ के लिए तैयार किए गए खूबसूरत कालीनों को प्रदर्शित करेंगे. बंदी अब महाकुंभ का लोगो और विभिन्न डिजाइन वाले खूबसूरत कालीन तैयार कर रहे हैं. महाकुंभ का लोगो वहां शोभा बढ़ाएगा. इसके साथ ही भगवान श्री राम, गणेश सहित धार्मिक और अन्य डिजाइन वाली वॉल हैंगिंग और कालीन स्टॉल पर प्रदर्शित की जाएगी जिसे श्रद्धालु खरीद सकेंगे.

भदोही को माना जाता है कालीनी उद्योग का हब

भदोही के जेल अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया, ''भदोही को कालीन उद्योग का हब माना जाता है. अब हम अपनी शिल्पकला को महाकुंभ के धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव में समर्पित करने की तैयारी में हैं. हम सब मिलकर इसे मूर्त रूप देने में जुटे हैं. जिला जेल के 31 बंदियों द्वारा काफी समय से कालीन की बुनाई की जा रही है. उच्चाधिकारियों के निर्देश पर बंदियों द्वारा 6 x 6 फीट का महाकुंभ का लोगो वाला कालीन डिजाइन किया जा रहा है. इसे 10 बंदियों की टीम बना रही है. इस लोगो को महाकुंभ में महत्वपूर्ण स्थानों पर प्रदर्शित किया जाएगा. साथ ही बंदियों द्वारा भगवान श्री राम, गणेश सहित अन्य धार्मिक वॉल हैंगिंग और कालीन बनाए जा रहे हैं जिसे महाकुंभ में स्टॉल लगाकर प्रदर्शित किया जाएगा.'

जेल में बंद कैदियों को दी जा रही ट्रेनिंग

उन्होंने कहा कि इसे खरीदकर लोग बंदियों की इस कला का सम्मान बढ़ा सकेंगे. जेल में कालीन बुनाई करने वाले बंदियों को कालीन बिक्री से मिले धन से पारिश्रमिक भी दिया जाता है जिससे जेल में रहकर भी बंदी अपने परिवार का भरण-पोषण कर पाता है. इसमें तमाम बंदी पहले से कालीन बुनाई में कुशल थे तो कुछ को जेल में भी बाकायदा ट्रेनिंग दी गई है.' 

समाज में फिर से जगह बनाने का अवसर

वहीं कला में अपनी पहचान बनाने वाले इन बंदियों का कहना है कि यह उनके लिए गर्व का पल है. एक बंदी ने कहा, “हमारे लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है कि हम अपने हाथों से बनी कालीन महाकुंभ में प्रदर्शित कर रहे हैं. यह हमें समाज में फिर से अपनी जगह बनाने का अवसर देता है." महाकुंभ में इन कालीनों का प्रदर्शन सिर्फ एक कला की पहचान नहीं है, बल्कि यह संदेश भी है कि कठिनाइयों से उबरने और मेहनत से अपने जीवन को नई दिशा देने का कोई अवसर कभी खत्म नहीं होता. इस पहल के माध्यम से भदोही के बंदियों ने न केवल अपने हुनर का सम्मान बढ़ाया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कला और श्रम से, आत्मविश्वास और गौरव से नई ऊंचाइयां हासिल की जा सकती हैं.

(एजेंसी आईएएनएस)

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