Jyotish: जिस तरह रत्न ग्रहों को रिप्रेजेंट करते हैं उसी तरह से रंग भी ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं. हर ग्रह का अपना रंग होता है इसलिए आपने देखा होगा कि बहुत से लोग सप्ताह में प्रत्येक दिन के लिए निर्धारित ग्रहों पर आधारित रंगों के कपड़े पहनते हैं. यह बात बिल्कुल वैज्ञानिक है कि हर ग्रह का अपना रंग होता है, जैसे सूर्य का सुनहरा, चंद्र का सफेद, मंगल का लाल, बुध का हरा, बृहस्पति का पीला, शुक्र का सफेद और शनि का नीला और काला रंग होता है. 


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भगवा और पीले रंग का महत्व


 


रंग हमेशा ही किसी खास स्थिति और परिस्थिति का ज्ञान कराते हैं. साधु और महात्मा अधिकांशतः भगवा रंग का चोला धारण करते हैं. भगवा रंग सदैव शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शांति का द्योतक माना जाता है. रमल शास्त्र के अनुसार लाल रंग उत्तेजना और पीला रंग मौसम ए बहार का सूचक होता है.


 


काला रंग


 


काला रंग रहस्य, मनन और चिंतन की गहराई का प्रतीक है. काले रंग की एक और खास बात होती है कि इस रंग पर कोई दूसरा रंग नहीं चढ़ता है जबकि इससे उलट सफेद रंग किसी पर भी काबिज नहीं हो पाता है. इसलिए इन दोनों रंगों का अपना स्वतंत्र अस्तित्व है. काला रंग किसी भी व्यक्ति के शोक या विरोध को भी व्यक्त करता है. जिस तरह से काले रंग की परत खोली और देखी नहीं जा सकती है. उसी तरह से दुख और शोक की तह यानी गहराई को नहीं मापा जा सकता है.


 


यही कारण है कि सूफी फकीरों ने अपने लिए काले रंग का चोला चुना है, साधु महात्मा अपनी समाधि हमेशा गहन अंधकार में ही लगाया करते हैं, इसका मतलब है कि जब साधक किसी चीज को पाना या खोजना चाहता है तो वह अंधेरे को ही पसंद करते हैं. अंधेरे व एकांकी में मन की एकाग्रता बढ़ती है.