Astrology: इस लग्न के जातकों को माना जाता है द्विस्वभावी, किसी बात को सही से जाने बिना ही ले लेते हैं गलत निर्णय
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Astrology: इस लग्न के जातकों को माना जाता है द्विस्वभावी, किसी बात को सही से जाने बिना ही ले लेते हैं गलत निर्णय

Virgo Lagan Zodiac Sign: हर लग्न की राशि के लोगों का स्वभाव अलग-अलग होता है. सभी की पसंद-नपसंद अलग होती है. आज हम जानेंगे कन्या लग्न के लोगों के स्वभाव के बारे में. 

 

फाइल फोटो

Zodiac Sign: कन्या लग्न के लोगों को स्पंज रसगुल्ला या रसमलाई जैसी रसीली मिठाई पसंद होती है. ये जातक चालाक और अवसरवादी होते हैं, अतिथियों को भोजन पूरे मन से कराते हैं, भोजन व्यवस्था संभालने की इनकी अद्भुत क्षमता होती है, ये किसी की भी गहराई में जाए बिना ही उसके बारे में आकलन कर लेते हैं. इनमें उतावलापन इतना अधिक होता है कि कई बार गलत निर्णय कर लेते हैं और फिर अपने किए पर गुस्सा आता है.  इन्हें झगड़ा नहीं पसंद आता और झगड़ा बढ़ने पर माफी मांगने में संकोच नहीं करते.  

क्षण में गुस्सा व क्षण में प्रसन्न हो जाते   

कन्या का अर्थ तो नाम से ही कुछ स्पष्ट हो जाता  है. कन्या का अर्थ है सौम्य, सरल, धैर्यवान, भावुक, सुंदर, बुद्धिमान व श्रृंगार पसंद.  कन्या राशि एक द्विस्वभाव राशि है.  द्विस्वभाव का अर्थ है ऐसे जातक के दो स्वभाव होते हैं. कभी कुछ तो कभी कुछ. यही कारण है कि यह अस्थिरता इन्हें ‘ क्षणे रुष्टा क्षणे तुष्टा, रुष्टा तुष्टा क्षणे क्षणे’ जैसी प्रकृति का बना देता है.  यह एक क्षण में रुष्ट और दूसरे क्षण में प्रसन्न हो जाते हैं.  इस लग्न का स्वामी बुध है.  कन्या लग्न उत्तराफाल्गुनी के तीन चरण, हस्त के चार चरण और चित्रा नक्षत्र के दो चरणों से मिलकर बनी है. यह शीर्षोदय राशि है और दक्षिण दिशा पर इसका अधिकार है. यह लग्न प्रकृति से सौम्य और राशि से स्त्री है. कन्या लग्न ही  सभी लग्नों में एकमात्र लग्न है कि जिसका स्वामी बुध अपनी ही राशि में उच्च का होता है.  इन्हें रसीली मिठाई पसंद होती है.  इस लग्न में खास बात यह होती है, कि इसका स्वामी और इसके कर्मक्षेत्र का स्वामी एक ही होता है. दशम भाव अर्थात कर्मक्षेत्र के भाव में मिथुन राशि पड़ती है, जिससे कन्या और मिथुन दोनों घरों का स्वामी बुध बहुत ही शुभ फल देता है. यदि कुंडली में बुध उच्च का हो.

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घर को साथ लेकर चलती है

स्त्रियों के लिए यह लग्न अच्छी मानी जाती है क्योंकि इनमें स्त्रियोचित गुण अधिक होता है. इस लग्न वाली महिलाएं घर परिवार का पूरी तरह से ध्यान रखती है. बड़ों और अतिथियों का स्वागत सत्कार करने वाली होती हैं. अपने पति और परिवार को अपने गुणों से प्रसन्न रखती हैं. कालपुरुष की छठी राशि होने के कारण इन्हें रोग, ऋण और शत्रु का भय बना रहता है. यह राशि पेट के रोग आदि तथा अनियमितताओं से संबंधित है. 

लाभ लेने की बनाते हैं रणनीति 

इस लग्न में जन्म लेने का अर्थ है बुद्धि की प्रखरता. ऐसे व्यक्तियों को विद्या के प्रति वास्तविक रुचि होती है. कन्या लग्न वालों को कुछ ग्रंथों में चालाक भी कहा गया है कि ये अवसरवादी होते हैं और इनकी अवसरवादिता सबके सामने प्रकट हो जाती है. यह अपने लाभ के लिए ही जोड़ तोड़ में लगे रहते हैं. यह हमेशा ऐसी ही सलाह देते हैं जिनमें इनका ही फायदा हो.  

मजबूत मैनेजमेंट प्लानिंग  

इस लग्न में खास बात होती है कि यह भरण पोषण में बहुत माहिर होता है. स्त्री हो या पुरुष यह अतिथियों आदि को बहुत मन से भोजन कराते हैं और इनके अंदर भोजन की व्यवस्था संभालने की विलक्षण प्रतिभा होती है. इस लग्न वाले व्यक्तियों को  होटल मैनेजमेंट, होटल या अन्य भोजन से संबंधित व्यवसाय में जाना चाहिए. व्यवस्था संभालने की विलक्षण प्रतिभा होती है इनकी प्लानिंग, वाणिज्य, डिजाइनिंग, प्रोग्रामिंग व लेखन आदि के कार्यो में रुचि होती है. 

यह बुद्धि प्रधान लोग होते हैं

यह धन के प्रति बहुत कल्पनाशील होते हैं,  इनकी भविष्य की योजना बहुत जबरदस्त होती है. यह अपने शत्रुओं को पहचानने में धोखा खा जाते हैं. कन्या लग्न वाले व्यक्ति बाहरी आवरण से ही अच्छा या बुरा का निर्धारण करते हैं. यह भीतर गहरे में नही जाते.  इस  लग्न के जातकों को विभिन्न प्रकार की विद्याओं का अध्ययन करने का शौक होता है. इनमें उतावलापन अधिक होता है. इस उतावलेपन के कारण यह कभी कभी गलत कदम भी उठा लेते हैं. इस उतावलेपन के कारण इन्हें बाद में अपने आप पर ही गुस्सा आता और अपने ऊपर से बहुत जल्दी विश्वास खो देते हैं. दरअसल यह बुद्धि प्रधान लोग होते हैं और ऐसे व्यक्ति बेकार की मेहनत नहीं करते. 

 
समझाने का तरीका होता है बहुत प्रभावशाली 

किसी भी कार्य को तर्कसंगत और योजनाबद्ध तरीके से करते हैं. ऐसे जातकों का समझाने का तरीका बहुत प्रभावशाली होता है. यह अपनी गलत बात को भी तर्क पूर्ण तरीके से ही साबित करते हैं. उनके स्वभाव में स्त्री स्वभाव की झलक दिखती है। किसी कार्य को कब करना चाहिए इसे वह जातक जानता है. यह कभी दूसरों से काम लेने में हिचकते नहीं है। वह साहसी नहीं होते लेकिन धैर्यवान अवश्य होते हैं. 

स्वभाव से शांतिप्रिय होते हैं

इस लग्न का जातक झगड़ा पसंद नहीं करता है. भीतर से यह बहुत डरपोक होते हैं. झगड़ा बढ़ने पर माफी मांग कर यह मामले को निपटा लेते हैं. इन्हें शुक्र अच्छा फल देता है. शुक्र भाग्य का स्वामी और कोश का स्वामी होता है. जातक की पत्नी सुंदर और गुणी होती है.  शनि मिलाजुला फल देता है. इन्हें पेड़ पौधों को जल देना चाहिए. रत्नों में पन्ना धारण करना चाहिए. पन्ना धारण करने से आत्मबल मजबूत होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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