Navratri 2023: मृत्यु जैसी बड़ी मुसीबत को भी टाल देता है नवरात्रि में किया ये उपाय, जानें कैसे दिखाता है असर!
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Navratri 2023: मृत्यु जैसी बड़ी मुसीबत को भी टाल देता है नवरात्रि में किया ये उपाय, जानें कैसे दिखाता है असर!

Siddha Stotram: ज्योतिष शास्त्र में कई तंत्रों के बारे में बताया गया है, जिनका नियमानुसार पालन व्यक्ति के समस्त कष्टों को खत्म कर देता है. बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी पल में टाल देता है.

 

फाइल फोटो

Siddha Stotram Path: शास्त्रों में कई ऐसे स्त्रोत के बारे में बताया गया है, जो व्यक्ति का बड़े से बड़ा संकट भी पल में दूर करते हैं. मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए शास्त्रों में सिद्ध कुंजिका का जिक्र किया गया है. ये सबसे सरल तरीका है. कहते हैं कि अगर विधिपूर्वक इसका पाठ किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में कोई संकट नहीं आता. साथ ही, सभी ग्रह उनके अधीन होते हैं.

ज्योतिष के अनुसार ये बहुत ही गोपनीय तंत्र है. इसका तंत्र अचूक है और व्यक्ति के सभी कष्टों को झट से खत्म कर देता है. मान्यता है कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का प्रयोग अक्सर मारण, मोहन, वशीकरण आदि कार्यों के लिए किया जाता है.

कब किया जाता है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ तब किया जाता है, जब कोई दूसरा ऑप्शन नहीं बचता. व्यक्ति के मरने-मारने की नौबत आ जाती है, तभी इसका उपयोग किया जाता है. कहते हैं कि इस स्त्रोत का पाठ करने से मां चंडी जल्द ही प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों के सभी मनोरथ पूरे करती हैं. कहते हैं कि इस स्त्रोत का पाठ करने से पहले व्यक्ति को दीक्षा लेनी चाहिए वरना व्यक्ति को फल प्राप्त नहीं होता.

सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।

अथ मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।

।।इति मंत्र:।।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।

धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।

हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

।इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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