6 अप्रैल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र, जानिए कब है कलश स्थापना का सही नियम और शुभ मुहूर्त
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6 अप्रैल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र, जानिए कब है कलश स्थापना का सही नियम और शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्र को लेकर मान्यता है कि पौराणिक कथा और शुभ मुहूर्त में माता के कलश की स्थापना की जाए तो घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है. 

फाइल फोटो

मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र इसी महीने की 6 तारीख से शुरू होने वाले हैं. नवरात्र को लेकर पूरे देश में भारी उत्साह है. माता के घर में आगमन की तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं. इन नौ दिनों में माता के 9 स्वरुपों की पूजा होती है. चैत्र नवरात्र को लेकर मान्यता है कि पौराणिक कथा और शुभ मुहूर्त में माता के कलश की स्थापना की जाए तो घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है. 

चैत्र नवरात्रों में इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सिर्फ 4 घंटे 10 मिनट तक ही रहेगा. कलश स्थापना मुहूर्त सुबह 06 बजकर 09 मिनट से लेकर 10 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. 

माता के किस रूप को लगाएं कौन सा भोग

पहला दिन: नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है. पहले दिन घी का भोग लगाएं और दान करें. इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है और बीमारी दूर होती है.

दूसरा दिन: दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का होता है. माता को शक्कर का भोग लगाएं और उसका दान करें. इससे आयु लंबी होती है.

तीसरा दिन: तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां को दूध चढ़ाएं और इसका दान करें. ऐसा करने से सभी तरह के दु:खों से मुक्ति मिलती है.

चौथा दिन: चौथे दिन मां कुष्मांडा की अराधना होती है. माता को मालपुए का भोग लगाएं और दान करें. इससे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति व सुख की प्राप्ति होती है.

पांचवां दिन: पांचवें दिन मां स्कंदमाता का है. मां को केले व शहद का भोग लगाएं व दान करें. इससे परिवार में सुख-शांति रहेगी और शहद के भोग से धन प्राप्ति के योग बनते हैं.

छठां दिन: छठे दिन मां कात्यानी की पूजा की जाती है. षष्ठी तिथि के दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए. इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है.

सातवां दिन: सातवां दिन मां कालरात्रि को पूजा जाता है. मां को गुड़ की चीजों का भोग लगाकर दान करने से गरीबी दूर हो जाती है.

आठवां दिन: अष्टमी के दिन महागौरी यानि मां दुर्गा को समर्पित है. माता को नारियल का भोग लगाकर दान करना चाहिए, ऐसा कहा जाता है कि इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

नौवां दिन: नवमी पर सिद्धदात्रि की पूजा की जाती है. मां को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाएं और फिर उसे गरीबों को दान करें. इससे जीवन में हर सुख-शांति मिलती है.

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