बिहार में आस्था के महापर्व छठ की रौनक देखते ही बन रही है. नहाए खाए के बाद दूसरे दिन खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया है. शाम में पूजा के बाद गुड़ की खीर प्रसाद के रूप में वितरण की जाती है.
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नई दिल्लीः बिहार में आस्था के महापर्व छठ की रौनक देखते ही बन रही है. नहाए खाए के बाद दूसरे दिन खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया है. शाम में पूजा के बाद गुड़ की खीर प्रसाद के रूप में वितरण की जाती है. छठ का व्रत करने वाले महिला और पुरुष प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं. खरना के अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. खरना के दौरान नदी और तालाबों के किनारे महिलाओं की भारी भीड़ देखने को मिली.
खरना के बाद अगले दिन प्रसाद बनाए जाते हैं. प्रसाद में ठेकुआ, चावल का बना लड्डू, केला, नारियल, गन्ना प्रमुख है. छठ का प्रसाद बनाते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. ठेकुआ और चावल के लड्डू के लिए गेंहू और चावल को काफी नियम-निष्ठा से धोकर पिसवाया जाता है. अनाज सुखाते वक्त काफी ध्यान रखना पड़ता है कि कोई पक्षी इसे जूठा ना कर दे या फिर किसी के पांव इसपर नहीं पड़े. ये प्रसाद घर में ही बनते हैं.
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छठ पूजा के प्रसाद में गन्ना और केला का भी विशेष महत्व है. अर्घ्य देते वक्त पूजा की सामग्री में गन्ने का होना जरूरी है. इस दौरान छठ व्रतियों ने घरों में छठ गीत गए और शाम ढलते ही प्रसाद ग्रहण कर व्रत की शुरुआत की. बता दें छठ के दौरान खरना का प्रसाद ग्रहण करने और सूर्य भगवान की आराधना का काफी महत्व होता है. शुक्रवार को बिहार और यूपी में सूर्यास्त क्रमश: 5:08 और 5:17 के बीच हुआ. इसलिए इस समय यहां नदी-तालाबों के किनारे भारी संख्या में महिलाओं की भीड़ देखने को मिली.