नई दिल्ली. देशभर में छठ पूजा (Chhath Puja 2020) का त्योहार शुक्रवार, 20 नवंबर को मनाया जाएगा. यह पवित्र त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है. छठ पूजा 4 दिनों तक चलती हैं. इस त्योहार पर छठ मैया को प्रसन्न करने के लिए व्रतधारी 36 घंटे का निर्जल व्रत रखते हैं. इस पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. छठ पूजा खासतौर से बिहार, झारखंड और यूपी के लोग मनाते हैं. लेकिन देश के ज्यादातर लोग इस पर्व की मौलिक बातों से अनजान हैं. आज हम आपको छठ पर्व से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताएंगे जिनको जानने के लिए हर कोई उत्सुक रहता है.
सवाल- छठ या सूर्यषष्ठी व्रत में किन देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है?
जवाब- इस व्रत में सूर्यदेव और छठ मैया दोनों की पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठ मैया संतानों की रक्षा करती है और उनको लंबी उम्र देती है. छठ पूजा पर सूर्यदेव के साथ-साथ उनकी पत्नी उषा और प्रत्युषा को भी अर्घ्य देकर प्रसन्न किया जाता है.
सवाल- छठ मैया कौन-सी देवी होती हैं?
जवाब- सृष्टि की अधिष्ठाेत्री प्रकृति देवी के एक प्रमुख अंश को देवसेना कहा गया है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी का एक प्रचलित नाम षष्ठी है. पुराणों में पष्ठी देवी का एक नाम कात्यायनी भी है. इनकी पूजा नवरात्र में षष्ठी को होती है. षष्ठी देवी को ही छठ मैया कहा गया है, छठ मैया नि:संतानों को संतान देती हैं और सभी बालकों की रक्षा करती हैं और उनको दीर्घायु बनाती है.
सवाल- छठ पूजा मनाने की कैसे हुई शुरूआत?
जवाब- प्राचीन समय में एक राजा थे. उनका नाम राजा प्रियव्रत था. राजा की कोई संतान नहीं थी. इसके कारण वह बेहद दुखी और चिंतित रहते थे. फिर एक दिन राजा की महर्षि कश्यप से भेंट हुई. राजा ने अपना सारा दुख महर्षि कश्यरप को बताया. महर्षि कश्यप ने राजा को पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराने को कहा. राजा ने यज्ञ कराया, जिसकी बाद उनकी महारानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्य से शिशु मरा पैदा हुआ था. राजा को जब यह अशुभ समाचार मिला तो वह बहुत ही दुखी हुआ. तभी राजा के सामने अचानक एक देवी प्रकट हुई. देवी ने राजा के पुत्र को जीवित कर दिया. देवी की इस कृपा से राजा बहुत प्रसन्न हुआ और उसने षष्ठी देवी की स्तुति की. तभी से छठ पूजा मनाई जाती है.
सवाल- नदी और तालाब किनारे ही क्यों की जाती है यह पूजा?
जवाब- मान्यताओं के अनुसार, छठ पर्व पर सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देने का विधान है. इस पर्व पर सूर्य को अर्घ्यज देने और स्नान करने का विशेष महत्व है. इसलिए यह पूजा साफ सुथरी नदी या तालाब के किनारे की जाती है.
सवाल- ज्यादातर महिलाएं ही छठ पूजा में बढ़-चढ़कर हिस्सा क्यों लेती हैं?
जवाब- महिलाएं हमेशा अनेक कष्ट सहकर भी परिवार के लिए मजबूती से खड़ी रहती हैं. महिलाओं को त्याग और तप की भावना से जोड़कर देखा जाता है. साथ ही महिलाएं अपनी संतान से बेहद प्यार करती है. यही वजह है कि वह छठ मैया से संतान के स्वास्थ्य और उनके दीर्घायु होने की पूजा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं.
सवाल- क्या यह पूजा किसी भी धर्म या जाति के लोग कर सकते हैं?
जवाब- सूर्यदेव सभी के ईष्ट होते हैं. वह सभी प्राणियों को समान नजर से देखते हैं. छठ पूजा में किसी जाति या धर्म का कोई भेद नहीं होता है. इस पावन पर्व हर जाति-धर्म के लोग मना सकते हैं.
सवाल- ज्यादातर बिहार के लोग ही छठ पूजा क्यों मनाते हैं?
जवाब- बिहार में सूर्य पूजा और छठ मैया की पूजा का विशेष महत्व है. यहां के लोगों को इस पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है. बिहार में सूर्य देव की पूजा सदियों से प्रचलित है. सूर्य पुराण में यहां के देव मंदिरों की महिमा का वर्णन मिलता है. यहां सूर्यपुत्र कर्ण की जन्मस्थली भी है. अत: स्वाभाविक रूप से इस प्रदेश के लोगों की आस्था सूर्य देवता में ज्यादा है.
धर्म से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें https://zeenews.india.com/hindi/religion