Shiva Temple: आश्चर्य और रहस्य से भरा है ये शिव मंदिर जहां पूजा करना सख्त मना है, जानें कारण
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Shiva Temple: आश्चर्य और रहस्य से भरा है ये शिव मंदिर जहां पूजा करना सख्त मना है, जानें कारण

देश भर में ऐसे कई शिव मंदिर हैं जो अपने आप में अनोखे और अनूठे हैं. कहीं शिव जी के खंडित त्रिशूल की पूजा होती है तो कहीं धंसे हुए शिवलिंग की. लेकिन एक ऐसा शिव मंदिर भी है जहां शिवलिंग होने के बाद भी उसकी पूजा नहीं की जाती.

एक हथिया देवाल- अनोखा शिव मंदिर

नई दिल्ली: भोलेनाथ शिव शंकर को देवों के देव महादेव (Mahadev) कहा जाता है और इंसान ही नहीं बल्कि देवता भी उनकी पूजा करते हैं. लेकिन अगर हम आपसे कहें कि हमारे देश में एक ऐसा शिव मंदिर (Shiva temple) भी जिसे देखने के लिए तो लोग दूर-दूर से आते हैं लेकिन यहां भगवान शिव की पूजा नहीं की जाती (Lord Shiva is not worshipped here). ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने वाला व्यक्ति बर्बाद हो जाता है. आखिर कहां है ये शिव मंदिर और इस शापित मंदिर से पीछे की कहानी क्या है, इस बारे में यहां पढ़ें.

  1. इस शिव मंदिर में नहीं होती है शिवलिंग की पूजा
  2. मंदिर को शापित मानकर यहां नहीं की जाती है पूजा
  3. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में है एक हथिया देवाल मंदिर

पिथौरागढ़ में है एक हथिया देवाल मंदिर

देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड स्थित पिथौरागढ़ के थल में 6 किलोमीटर दूर बल्तिर गांव में है यह शिव मंदिर जिसका नाम एक हथिया देवाल (Ek hathiya deval) है. इस मंदिर में शिवलिंग (Shivalinga) तो है, यहां भोलेनाथ की स्थापना तो की गई है लेकिन मंदिर में उनकी पूजा नहीं की जाती. इसका कारण ये है कि ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर शापित है (Cursed) और अगर कोई यहां पूजा करता है तो उसे भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है और वह बर्बाद हो जाता है. इसलिए यहां आने वाले शिव भक्त भोलेनाथ से मन्नत तो मांगते हैं लेकिन पुष्प या जल चढ़ाकर उनकी पूजा नहीं करते.

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मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

पुराने समय में यहां एक मूर्तिकार रहता था जिसका एक हाथ दुर्घटना में खराब हो गया था, इसके बाद भी वह केवल एक हाथ से ही मूर्तियां बनाना चाहता था. लेकिन गांव के कुछ लोग उसका मजाक बनाने लगे. इन बातों से तंग आकर उसने गांव छोड़कर जाने का निर्णय लिया. रात के समय उसने मूर्तियां बनाने का सारा सामान साथ लिया और गांव के दक्षिणी छोर की ओर निकल गया. गांव के इस छोर पर एक बहुत बड़ी चट्टान थी. रातभर में मूर्तिकार ने चट्टान को काटकर एक शिवालय बना दिया. सुबह जब गांव के लोग वहां आए और चट्टान की जगह उन्हें मंदिर दिखा तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ. लोगों ने मूर्तिकार को बहुत खोजा लेकिन वो वहां से जा चुका था. एक हाथ से देवालय यानी मंदिर का निर्माण होने की वजह से लोगों ने इसे एक हथिया देवाल मंदिर कहना शुरू किया. 

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इसलिए नहीं होती मंदिर में पूजा

बाद में जब गांव के पंडितों ने मंदिर के अंदर बने शिवलिंग को देखा तो उन्होंने पाया कि जल्दबादी में शिवलिंग का अरघा विपरित दिशा में बन गया है जिससे यहां शिवलिंग की पूजा करने वाले का भला होने की बजाय उसका अनिष्ट हो सकता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में पूजा करेगा उसे अशुभ फल की प्राप्ति होगी.  

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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